Friday 17 June, 2011

परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए जोख़िम उठाना उचित है


16.03.2011, 15:21
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रूस और भारत परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण करने के लिए दिल्ली को 4 अरब डॉलर का ऋण देने की संभावना पर सोच-विचार कर रहे हैं। इस बात की जानकारी मंगलवार को रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पूतिन ने दी है। उन्होंने यह भी कहा कि रूस पहले ही भारत को 2.6 अरब डॉलर का ऋण प्रदान कर चुका है। इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए रेडियो रूस के समीक्षक गिओर्गी वानेत्सोव ने लिखा है-
यह बात शायद कई लोगों को अजीब लग रही होगी कि जापान में आए भूकंप के कारण परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में हुए विस्फोटों के बाद भी दुनिया में बड़े पैमाने पर नए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण करने की बात की जा रही है। निश्चित रूप से इस काम में हमेशा से ही जोखिम तो रहा है लेकिन भारत, चीन, तुर्की, पाकिस्तान, वियतनाम और दुनिया के कई ऐसे दूसरे देश क्या करें जिनके पास प्राकृतिक ऊर्जा संसाधन बहुत कम हैं?  ये देश परमाणु ऊर्जा पैदा करके ही बिजली के क्षेत्र में अपनी आवश्कताओं की पूर्ति कर सकते हैं। आधुनिक तक्नोलौजी काफ़ी विकसित और सुरक्षित बनती जा रही है। इसकी बदौलत परमाणु बिजलीघरों में दुर्घटनाओं के जोखिम बहुत कम हो गए हैं और भविष्य में और भी कम हो जाएँगे। रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पूतिन ने इसी बात की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा-
जापानी परमाणु बिजलीघर और इन में लगे उपकरण चालीस साल पुराने हैं। आजकल दुनिया में इनसे कहीं बेहतर परमाणु रिएक्टर मौजूद हैं। यह बात साबित कर दी गई है कि परमाणु ऊर्जा के उत्पादन को बेहद सुरक्षित बनाया जा सकता है। आधुनिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा विशेष ढंग से की जाती है। इसलिए जापानी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों जैसी स्थिति उत्पन्न होने की कोई सम्भावना नहीं है।
आजकल दुनिया भर में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए अलग अलग चरणों पर 62 परमाणु रिएक्टरों का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा भविष्य में 300 से अधिक नए रिएक्टरों के निर्माण के लिए परियोजनाओं पर चर्चा की जा रही है। रूस, चीन, भारत और दुनिया के कुछ अन्य देशों में राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा व्यवस्था के आधुनिकीकरण के कार्यक्रमों को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। भारत, वियतनाम, तुर्की और बुल्गारिया में जो परमाणु बिजलीघर बनाए जा रहे हैं रूस उनके निर्माण में सहायता कर रहा है। यह बात अभी स्पष्ट नहीं है कि इन कार्यक्रमों में किस हद तक परिवर्तन किया जा सकता है। लेकिन रूस और चीन जैसे अग्रणी देशों ने इस बात की स्पष्ट रूप से घोषणा की है कि वे जापान में घटी दुर्घटना के बावजूद नई पीढ़ी के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण के अपने कार्यक्रमों का त्याग नहीं करेंगे।
निकट भविष्य में भारत के दक्षिण में रूस की तकनीकी सहायता से बनाए जा रहे कुडनकुलम परमाणु बिजलीघर के पहले दो युनिट चालू हो जाएँगे जिनमें से प्रत्येक की उत्पादन क्षमता एक-एक हज़ार मेगावाट होगी। इन दो युनिटों के अलावा अगले पांच से सात साल में दोनों देशों द्वारा संयुक्त रूप से भारत में 16 और परमाणु रिएक्टरों का निर्माण किया जाना है। नए परमाणु बिजलीघरों को सबसे आधुनिक और उन्नत उपकरणों से लैस किया जाएगा और सुरक्षा की पूरी गारंटी दी जाएगी। अन्य बातों के अलावा कुडनकुलम परमाणु बिजलीघर के पहले दो यूनिटों में तीसरी पीढ़ी के रिएक्टर स्थापित किए गए हैं जो बहुत ही उच्च स्तर की सुरक्षा प्रदान करते हैं। इस संबंध में रूस की रोसएटम कंपनी के संचालक सेर्गेय किरिएन्का ने कहा-
कुडनकुलम में एक अद्वितीय सुरक्षा प्रणाली स्थापित की जा रही है। इस प्रकार की सक्रिय और निष्क्रिय सुरक्षा प्रणाली इससे पहले कहीं भी स्थापित नहीं की गई है। नए परमाणु बिजलीघरों में अति आधुनिक और उन्नत किस्म के उपकरण लगाए जा रहे हैं जो उनके काम को भी सुरक्षित बनाते हैं।
यह बात भी भारतीय परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के संचालन को सुरक्षित बनाती है कि वे ऐसे इलाकों से बहुत दूर स्थित हैं जहाँ भूकंप आने की संभावना बनी रहती है। इन परमाणु बिजलीघरों में सुरक्षा की स्थिति पर मुंबई स्थित एक विशेष उपग्रह केंद्र द्वारा ऑनलाइन निग़ारानी रखी जाती है।

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