Friday, 17 June 2011

रूस और भारत के बीच व्यापार बढ़ाने की ज़रूरत है


सेंट पीटर्सबर्ग में हो रहे पीटर्सबर्ग अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक फ़ोरम के अन्तर्गत 'रूस-भारतीय व्यापारिक बातचीत' में बोलते हुए रूस के उपप्रधानमंत्री सेर्गेय इवानोव ने कहा कि रूस और भारत के बीच आपसी व्यापार में दिखाई दे रही ढील को दो देशों के व्यापारियों को मिलकर दूर करना चाहिए और मशीन-निर्माण, औषध-निर्माण तथा विमान-निर्माण के क्षेत्र में हमें आपसी सहयोग बढ़ाना चाहिए। हालाँकि आज भी यह कहा जा सकता है कि दो देशों के बीच व्यापारिक-आर्थिक सम्बन्ध सफ़लतापूर्वक विकसित हो रहे हैं। हम सूचना व संचार तक्नोलौजी, भारी मशीन-निर्माण तथा औषध-निर्माण के क्षेत्र में कुछ परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। लेकिन पिछले वर्ष के अंत में आपसी व्यापार में कुछ कमज़ोरी दिखाई दी है, जिसकी वज़ह से चिंता हो रही है। उन्होंने कहा कि इसका कारण शायद दुनिया में कीमतों में हो रही वृद्धि है। रूस के उपप्रधानमंत्री ने कहा- हमें आपसी व्यापार की दिशाएँ बदलने की कोशिश करनी चाहिए।
सेर्गेय इवानोव ने बताया कि रूस भारत को आम तौर पर मशीन-निर्माण उद्योग से सम्बन्धित मशीनों और यंत्र-उपकरणों का निर्यात करता है। हमारे व्यापार में तेल और गैस का हिस्सा सिर्फ़ पाँच प्रतिशत है। उसी समय रूस में भारत की करीब 800 तरह की दवाइयाँ पंजीकृत हैं और वे रूस में काफ़ी लोकप्रिय हैं क्योंकि उनकी क़ीमत कम है और क्वालिटी बढ़िया है। रूस के उपप्रधानमंत्री ने कहा औषधि क्षेत्र में रूस और भारत व्यापक स्तर पर सहयोग कर सकते हैं। भारतीय व्यापारियों को न केवल रूस को दवाइयों की आपूर्ति बढ़ाने में दिलचस्पी दिखानी चाहिए, बल्कि रूस में संयुक्त औषधि-निर्माण कारखाने भी खोलने चाहिए ताकि रूसी विशेषज्ञों द्वारा खोजी जाने वाली नई दवाओं  का भी मिलकर उत्पादन किया जा सके। सेर्गेय इवानोव ने भारत में बड़ी रूसी कम्पनी "ए०एफ़०के० सिस्तेमा" के सफ़ल काम  की चर्चा की, जो MTS के नाम से भारत में मोबाइल फ़ोन सुविधाएँ उपलब्ध कराती है। इसके अलावा परमाणु ऊर्जा, मोटर-निर्माण, सड़क-निर्माण तथा मेट्रो-निर्माण के क्षेत्र में सक्रिय रूसी कम्पनियाँ भी भारत में बड़ी सक्रियता के साथ सफ़लतापूर्वक काम कर रही हैं। सेर्गेय इवानोव ने कहा कि रूस और भारत लड़ाकू-विमानों के निर्माण के क्षेत्र में भी अच्छा सहयोग कर रहे हैं और अब इस सहयोग को नागरिक विमान निर्माण क्षेत्र में विकसित करना चाहिए।  

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