रूसी लोग चाँद पर रहने की तैयारी कर रहे हैं
विषय: यह बात दिलचस्प है (283 टिप्पणियाँ)
20.01.2012, 18:55 |
Photo: RIA Novosti |
जल्दी ही रूसी वैज्ञानिक चाँद पर रहना शुरू कर देंगे। चाँद पर एक ऐसा मंडप बना दिया जाएगा, जिसमें मानव रह सकेगा। इसके लिए सन् 2020 तक दो अन्तरिक्ष यान चाँद पर भेजे जाएँगे, जिनके नाम रखे गए हैं— 'लूना रिसूर्स' और 'लूना ग्लोब'। रूस के अंतरिक्ष संगठन रोसकोसमोस के प्रमुख व्लदीमिर पपोवकिन ने यह जानकारी दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि क़रीब 20 साल बाद पृथ्वी-वासी चाँद पर अपनी छुट्टियाँ बिताने के लिए आना-जाना शुरू कर देंगे।
इस शताब्दी के तीसरे दशक में चाँद पर मंडप बनाने या स्टेशन बनाने की तकनीकी सुविधाएँ तैयार हो जाएँगी। आरम्भ में वैज्ञानिक चाँद पर जाकर रहेंगे और चन्द्रमा की भौतिकीय, जैविक और भूवैज्ञानिक परिस्थितियों का अध्ययन करेंगे। धीरे-धीरे वहाँ रहने के लिए जीवन की परिस्थितियों के अनुकूल ढाँचा तैयार कर लिया जाएगा जो पर्यटकों के लिए भी सुविधाजनक होगा।
शुरू में चन्द्रमा का उपयोग करने की कोई परियोजना नहीं बनाई गई थी, लेकिन जब से पृथ्वी के इस प्राकृतिक उपग्रह के ऊपर पानी मिला है, वैज्ञानिकों ने इस अंतरिक्ष गोलक के बारे में दूसरे ही ढंग से सोचना शुरू कर दिया है। रूस की विज्ञान अकादमी के अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान की लेबोरेटरी के प्रधान ईगर मित्रोफ़ानव ने बताया :
चन्द्रमा पर इस तरह का कोई बेस-स्टेशन बनाने से पहले हमें कुछ गंभीर अन्तरिक्ष परियोजनाओं को पूरा करना होगा और इसके साथ-साथ तक्नोलौजियों का भी गंभीर ढंग से विकास करना होगा। पहले क़दम के रूप में हम लूना रिसूर्स और लूना ग्लोब नामक दो अन्तरिक्ष यानों को चाँद पर उतारने की योजना बना रहे हैं। हम वहाँ ऐसे कुछ प्रयोग करना चाहते हैं जो चन्द्रमा के आगे उपयोग को और चन्द्रमा पर पाए जाने वाले संसाधनों के उपयोग को संभव बनाएँगे। चाँद पर भी चन्द्रमा के ध्रुव-क्षेत्रों के मुक़ाबले उसके भूमध्य रेखा-क्षेत्र में और उसके देशान्तर रेखा-क्षेत्र में परिस्थितियाँ पूरी तरह से अलग-अलग हैं, जहाँ पहले सोवियत और अमरीकी अभियान पूरे किए गए थे। चाँद के ध्रुवीय इलाकों में पानी पाया गया है। यह एक महत्त्वपूर्ण बात है और हमारे लिए इस खोज ने नई संभावनाओं के दरवाज़े खोल दिए हैं।
लोग चन्द्रमा की धरती पर रह सकते हैं। वहाँ न तो कोई ख़तरनाक अन्तरिक्ष रेडिएशन है और उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति भी वैसी ही है, जैसीकि पृथ्वी की है। चाँद की सतह पर कहीं आने जाने के लिए विशेष अन्तरिक्ष पोशाक पहननी पड़ेगी, इसलिए यह मत सोचिए की चन्द्रमा पर धूप सेंकेने का मज़ा लिया जा सकेगा। रॉकेट-अन्तरिक्ष कारपोरेशन 'एनेर्गिया' के अध्यक्ष अलेक्सान्दर अलेक्सान्द्रोव ने बताया कि चन्द्रमा पर बेस-स्टेशन की ज़रूरत सामरिक उद्देश्यों से होगी। अलेक्सान्दर अलेक्सान्द्रोव ने कहा :
चन्द्रमा पर अपना अड्डा बनाना पृथ्वीवासियों का सामरिक उद्देश्य है। जैसे अन्टार्कटिक का अध्ययन करने के लिए हमने पहले वहाँ स्टेशन का निर्माण किया था। मानव इन स्टेशनों पर कुछ दिनों के लिए ही जाकर रहता है। उसके बाद हम वहाँ कुछ ऐसे ढाँचे बना लेंगे जो पृथ्वीवासियों के लिए उपयोगी होंगे। इस तरह चन्द्रमा पर हम अपना बेस ज़रूर बनाएँगे।
चन्द्रमा पर बनाए जाने वाले बेस-स्टेशन का इस्तेमाल वहाँ से नए अन्तरिक्ष यानों को छोड़ने के लिए किया जा सकेगा। वहाँ से मंगल ग्रह की ओर या दूसरे ग्रहों की ओर हम अपने यान भेज सकेंगे। और खगोलशास्त्री सूर्य और तारों का वहाँ से ज़्यादा बेहतर ढंग से अध्ययन कर सकेंगे। धीरे-धीरे मानव चन्द्रमा का औद्योगिक इस्तेमाल करना शुरू कर देगा। वहाँ खनिज पदार्थों की खुदाई की जा सकेगी, वहाँ तरह-तरह के कारखाने लगाए जा सकेंगे और सबसे बड़ी बात है कि वहाँ ऐसा अंतरिक्ष अड्डा बनाया जा सकेगा, जहाँ से ब्रह्माण्ड के दूसरे कोनों की यात्रा करना भी संभव होगा। ईगर मित्राफ़ानव ने कहा :
चन्द्रमा पर बने अंतरिक्ष अड्डे से अन्तरिक्ष यानों को मंगल या अन्य ग्रहों की तरफ़ छोड़ना आर्थिक रूप से भी बड़ा फ़ायदेमन्द और व्यावहारिक होगा। पृथ्वी की परिधि पर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से मुक्त होना इन अंतरिक्ष यानों के लिए बड़ा कठिन होता है। इसलिए चन्द्रमा से उन्हें भेजना बेहद आसान हो जाएगा।
तो अब वैज्ञानिकों ने चाँद का इस्तेमाल करने के लिए परियोजनाएँ बनानी शुरू कर दी हैं। व्यावसायी तो अभी से चाँद पर ज़मीन भी बेचने लगे हैं और ख़ूब कमा रहे हैं। कोई भी व्यक्ति सिर्फ़ साढ़े सात हज़ार डॉलर में चाँद पर अपना प्लॉट ख़रीद सकता है।
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