Thursday, 14 July 2011

अन्तरिक्ष में भी कूड़े की सफ़ाई ज़रूरी है |

रूस का अन्तरिक्ष कारपोरेशन “एनेर्गिया” एक ऐसा अन्तरिक्ष यान बना रहा है, जिसमें बैठकर अन्तरिक्ष यात्री अन्तरिक्ष में तैनात उपग्रहों की मरम्मत करने के लिए जाया करेंगे। यही नहीं, इस यान की सहायता से पृथ्वी की परिधि पर उपस्थित अनुपयोगी उपग्रहों और नष्ट हो गए यानों या उपग्रहों के टुकड़ों यानी अंतरिक्षीय कूड़े को इकट्ठा करना संभव होगा। सन् 2015 में रूस के वस्तोचनी अंतरिक्ष अड्डे से यह अन्तरिक्ष यान पहले बिना यात्रियों के ही अन्तरिक्ष में रवाना किया जाएगा और तीन वर्ष बाद अंतरिक्ष यात्री भी इस तरह के अन्तरिक्ष यान में सवार हो सकेंगे।
इस अंतरिक्ष यान में आम तौर पर दो अंतरिक्ष यात्री रहेंगे जो खुले अंतरिक्ष में बाहर निकलकर घूम-फिर सकेंगे और उपग्रहों के विभिन्न कल-पुर्जों और हिस्सों को बदल सकेंगे। इन अंतरिक्ष-यात्रियों की पोशाक पर ऐसे यंत्र-उपकरण लगे होंगे, जिनकी सहायता से वे उपग्रहों का अपनी सुविधानुसार संचालन कर सकेंगे। आम तौर पर वे दो सप्ताह तक अन्तरिक्ष में रहेंगे। मरम्मत अभियानों पर जाने वाले ये अन्तरिक्ष-यात्री आम तौर पर उन उपग्रहों की मरम्मत का काम करेंगे जो अंतरिक्ष में रहकर पृथ्वी पर नज़र रखते हैं या पृथ्वी के मौसम की भविष्यवाणी करने के काम आते हैं। इन अन्तरिक्ष यानों का दूसरा उद्देश्य अन्तरिक्ष में उपस्थित कूड़े की सफ़ाई करना होगा। रूसी अन्तरिक्ष कारपोरेशन “एनेर्गिया” के अध्यक्ष के वैज्ञानिक सलाहकार वीक्तर सिन्याव्स्की ने बताया
अंतरिक्ष में स्थापित किए गए वे पुराने उपग्रह जो अब अनुपयोगी हो गए हैं, अंतरिक्ष में लगातार घूमते हुए बड़ा ख़तरा पैदा करते हैं। इन सभी को एक जगह इकट्ठा करके इन्हें एक विशेष यंत्र के माध्यम से समुद्र में डुबो देना चाहिए। इस तरह पृथ्वी की परिधि को साफ़ किया जा सकता है।
पृथ्वी के चारों तरफ़ अन्तरिक्ष में आजकल विभिन्न उपग्रहों और राकेटों के करीब 6 लाख टुकड़े घूम रहे हैं, जिनका आकार एक सेंटीमीटर और उससे बड़ा है। विशेषज्ञ इन में से 19 हज़ार बड़े-बड़े टुकड़ों पर नज़र रखते हैं, जिनका वज़न कई किलो तक है। लेकिन नन्हे-नन्हे टुकड़े भी अन्तरिक्ष यात्रियों की अन्तरिक्ष-पोशाक में छेद कर सकते हैं। अन्तरिक्ष कूड़े की यह समस्या दिन-ब-दिन तीख़ी होती जा रही है। वीक्तर सिन्याव्स्की ने कहा –
समय के साथ-साथ कूड़ा बढ़ता जा रहा है। अन्तरिक्षीय कूड़े के ये टुकड़े जब एक-दूसरे से टकराते हैं तो उनमें फिर टूट-फूट होती है। इस तरह कूड़ा बढ़ता जा रहा है और बढ़कर कई गुना होता जा रहा है क्योंकि जब अनुपयोगी राकेटों या उपग्रहों के अंश आपस में टकराते हैं तो वे कई-कई गुना अधिक टुकड़ों में बदल जाते हैं और ये टुकड़े नए उपग्रहों और अन्तरिक्ष यानों के लिए ख़तरा पैदा करते हैं। इसीलिए अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन के आस-पास लगातार जाँच की जाती है और करीब-करीब हर हफ़्ते अन्तरिक्ष में उड़ते कूड़े से अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन को बचाना पड़ता है। इसके इसलिए अन्तरिक्ष स्टेशन को उसके लिए तय परिधि से ऊपर हटाना पड़ता है।

No comments: