नानजी जानजानी का पत्र रेडियो तेहरान की वेब साइड पर
http://hindi.irib.ir/index.php/2010-06-06-11-04-06/21275-2011-05-11-11-30-39.html
Wednesday, 20 July 2011
हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम का जन्म दिवस
हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम का जन्म दिवस |
आज १५ शाबान का शुभ अवसर है। सन २५५ हिजरी क़मरी में १५ शाबान को हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की फूफी जनाब हकीमा उनके घर आयीं ताकि अपने परिजनों से भेंट करें। जनाब हकीमा जब लौटने का इरादा करती हैं तो इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम उनसे कहते हैं" फूफी जान आज रात्रि हमारे पास रहें, इस पर जनाब हकीमा कहती हैं, आज हमने आपको काफी कष्ट दिया। इमाम कहते हैं आज रात्रि हमारे यहां बेटा होगा कि महान ईश्वर ज़मीन को उसके ज्ञान, ईमान और मार्गदर्शन से भर देगा जबकि ज़मीन अत्याचार एवं अन्याय से भर चुकी होगी। जनाब हकीमा उस समय खुशी के साथ आश्चर्य भरे नेत्रों से पूछती हैं यह मुबारक शिशु नरजिस से होगा? इमाम ने कहा जी हां। शताब्दियों से है संसार का हृदय महान मुक्तिदाता की प्रतीक्षा में धड़क रहा है और अत्याचारग्रस्त व पीड़ित लोग इस प्रतीक्षा में हैं कि महान मुक्तिदाता सुबह की मृदु पवन की भांति थके हुए हृदयों में तरुणाई प्रदान कर दे। यह प्रतीक्षा व आशा एक ओर मानव समाज में नई जान फूकती है तो दूसरी ओर शांति व कल्याण की शुभ सूचना देती है जो महान मुक्तिदाता के आगमन पर व्यवहारिक होगी। हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम के सुपुत्र और पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों में हैं। आपकी माता रोम के राजा की पोती हैं। हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम से उनका विवाह एक बहुत ही आश्चर्यजनक घटना थी। इमाम महदी अलैहिस्सलाम के जन्म के पश्चात हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम गोपनीय ढंग से आपकी देखभाल करते थे। महान ईश्वर ने बचपन में ही उन्हें तत्वदर्शिता एवं न्याय करने की क्षमता प्रदान की और उन्हें विश्ववासियों के लिए निशानी बनाया परंतु शत्रुओं से अपनी जान के सुरक्षित न होने के कारण हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम बचपन में ही लोगों की नज़रों से ओझल हो गये। अलबत्ता एक समय तक कुछ विशेष हस्तियों के माध्यम से लोग आपसे संपर्क करते थे फिर उसके बाद आप महान ईश्वर की इच्छा से पूरी तरह लोगों की नज़रों से ओझल हो गये। अब आप को लोगों की नज़रों से ओझल हुए शताब्दियों का समय बीत रहा है और लोग अपने दिलों में उनके आने की आशा का द्वीप जलाये उनकी प्रतीक्षा में उद्देश्यपूर्ण जीवन बिता रहे हैं। पूरे मानव इतिहास में महामुक्तिदाता के आने का विषय मौजूद था। इस शुभसूचना की ओर बड़े व महान ईश्वरीय पैग़म्बरों ने व्यापक स्तर पर संकेत किया है। सिद्धांतिक रूप से अंतिम मोक्षदाता के प्रकट होने का विश्वास रखना वह विषय है जिसे यहूदी, पारसी, ईसाई और विशेषकर ईश्वरीय धर्म इस्लाम में एक मूल सिद्धांत के रूप में माना गया है। पवित्र क़ुरआन की कुछ आयतों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इस बात की शुभसूचना पूर्व के पैग़म्बरों की किताबों में भी दी गयी है। महान ईश्वर पवित्र क़रआन के सूरये अंबिया की १०५वीं आयत में कहता है" और हमने ज़बूर में ज़िक्र के बाद लिख दिया है कि ज़मीन के उत्तराधिकारी हमारे भले बंदे ही बनेंगे" यह आयत ऐसे भविष्य के बारे में शुभ सूचना देती है जिसमें हर प्रकार की बुराई पूर्णरूप से मानव समाज से मिट जायेगी और ज़मीन के उत्तराधिकारी भले व योग्य बंदे बनेंगे। हज़रत दाऊद पर उतरी आसमानी किताब ज़बूर में बारम्बार इस बात की शुभ सूचना दी गयी है और हज़रत दाऊद को ढ़ारस बंधाती है कि बुरे लोगों से दुःखी न हो क्योंकि घास की भांति शीघ्र ही उन्हें काट लिया जायेगा, ईश्वर पर भरोसा करो और उसके अस्तित्व से आनंद उठाओ, क्योंकि बुरे लोंगों का अंत हो जायेगा और ईश्वर पर भरोसा करने वाले ही ज़मीन के उत्तराधिकारी होंगे" पारसियों की धार्मिक पुस्तक ज़न्द में भी अन्याय व अत्याचार के समाप्त होने तथा भले बंदों के ज़मीन का उत्तराधिकारी होने की ओर संकेत किया गया है। इसी प्रकार यह किताब अच्छाई और बुराई के बीच सदैव लड़ाई जारी रहने की ओर संकेत करती और बल देकर कहती है कि उददंडी व अत्याचारी लोगों के गुट समाप्त होने के बाद संसार के अपने मूल कल्याण व सफलता तक पहुंच जायेंगा और आदम की संतान भलाई के सिंहासन पर बैठेगी" हिन्दु धर्म की पुस्तकों में भी मुक्ति दिलाने वाले का उल्लेख मिलता है। महाभारत में आया है" समस्त धर्मों का मानना है कि इतिहास के हर कालखंड की समाप्ति पर मनुष्य का आध्यात्मिक एवं नैतिक दृष्टि से पतन हो जायेगा और चूंकि स्वाभाविक रूप से उसका पतन हो रहा है तथा वह ब्रह्मांड की रचना करने वाले से दूर हो रहा है इसलिए वह स्वयं इस पतन को नहीं रोक सकता। तो अंततः एक दिन आध्यात्मिक दृष्टि से एक ऐसा महान व्यक्ति प्रकट होगा जिसका सृष्टि के रचयिता से संपर्क होगा और संसार को अज्ञानता, अचेतना और अन्याय के अंधकार से मुक्ति दिलायेगा" यहूदी धर्म के लोग भी, जो स्वयं को ईश्वरीय दूत हज़रत मूसा का अनुयाई समझते हैं, मुक्तिदाता की प्रतीक्षा में हैं। यहूदी धर्म की धार्मिक रचनाओं, तौरात और उनके दूसरे पैग़म्बरों की किताबों में मुक्तिदाता के आने की ओर बारम्बार संकेत किया गया है। इंजील मत्ता, लूक़ा, मरक़स, बरनाबा और युहन्ना जैसी ईसाईयों की पवित्र पुस्तकों में भी अंतिम समय में प्रकट होने वाले मुक्तिदाता के बारे में बहुत अधिक संकेत किया गया है। महामुक्तिदाता और उस पर विश्वास का विषय, जब इस्लाम तक पहुंचता है तब यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है। इस्लामी शिक्षाओं में विश्व के महामुक्तिदाता का विशेष निशानियों के साथ परिचय कराया गया है और इस संबंध में हर प्रकार की भ्रांति व ग़लत बात का खंडन किया गया है। उस महामुक्तिदाता का पावन अस्तित्व पूरे विश्व को न्याय से भर देगा और हर प्रकार के अत्याचार व अन्याय का संसार से अंत कर देगा। ईश्वरीय धर्म इस्लाम शुभ सूचना देता है कि भविष्य में मनुष्य कल्याण और न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा के साथ जीवन बितायेगा। सुन्नी मुसलमानों की विश्वसनीय पुस्तक सुनने तरमज़ी में आया है कि एक दिन हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने अपने बेटे हज़रत इमाम हुसैन की ओर देखा और कहा" यह मेरा बेटा क़ौम व राष्ट्र का सरदार है जैसाकि पैग़म्बरे इस्लाम ने उसे सरदार कहा है और उसकी संतान से एक व्यक्ति आयेगा जिसका नाम तुम्हारे पैग़म्बर का नाम होगा और शिष्टाचार व व्यवहार में वह उनके जैसा होगा तथा वह ज़मीन को न्याय से भर देगा" हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम भी कहते हैं" प्रशंसा उस ईश्वर की जिसने मुझे दुनिया से नहीं उठाया यहां तक कि मैंने अपने उत्तराधिकारी को देख लिया। वह व्यवहार एवं आचरण में लोगों में सबसे अधिक पैग़म्बरे इस्लाम जैसा है। जिस समय वह ग़ैबत अर्थात लोगों की दृष्टि से ओझल रहेगा ईश्वर उसकी रक्षा करेगा और फिर उसे प्रकट करेगा" हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का चेहरा आकर्षक व तेजस्वी है। वह सर्वसमर्थ व महान ईश्वर की महानता के समक्ष नतमस्तक हैं और वह स्वयं महान ईश्वर की महानता एवं सुन्दरता की प्रतिमूर्ति हैं। हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम सचरित्र, न्यायी और नम्र स्वभाव के हैं। वह रत्ती बराबर भी सच व न्याय की अनदेखी नहीं करेंगे तथा संसार में मार्गदर्शन के प्रज्वलित दीपक के साथ चलेंगे ताकि पूरा संसार ईमान, समानता, बराबरी एवं वास्तविक न्याय से भर जाये। महान पैग़म्बरे इस्लाम और दूसरे ईश्वरीय दूतों ने जब भी हज़रत महदी अलैहिस्सलाम के आने की शुभ सूचना दी/ तो मानव जीवन का कल्याण करने, न्याय की स्थापना और अत्याचार से संघर्ष की उनकी विशेषताओं की ओर संकेत किया है। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेहि व सल्लम और उनके पवित्र परिजनों के कथनों में महामुक्तिदाता को ज़ख़ीरये एलाही, वारिसे ऊलूम, साहिबे अम्र और साहिले अम्न जैसी उपाधियों से याद किया गया है। हज़रत महदी अलैहिस्सलाम ईश्वरीय दूतों के सदगुणों एवं परिपूर्णता के उत्तराधिकारी हैं। इस आधार पर वह तत्वदर्शिता, ज्ञान, प्रेम, शूरवीरता, त्याग, क्षमाशीलता और विन्रमता जैसी विशेषताओं में दूसरे ईश्वरीय दूतों की भांति हैं। हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि वह भेदभाव और अन्याय का अंत कर देंगे और न्याय, आज़ादी एवं सुरक्षा के साथ मानव जीवन का कल्याण करेंगे। वह न्याय पर आधारित विश्व की आधारशिला रखेंगे जिसमें मनुष्य के जीवन से दुःख व अन्याय समाप्त हो जायेगा और भले, योग्य और ईमानदार लोग मानव समाज के शासक व ज़िम्मेदार बनेंगे। फ्रांसीसी इतिहासकार gustave le bon कहते हैं"मानव समाज के सबसे बड़े सेवक वे लोग हैं जो लोगों को आशान्वित रख सकें हैं" इस बात से हटकर कि हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने की आशा व प्रतीक्षा भविष्य की ओर एक रास्ता है, मनुष्य को गतिशील बनाने वाली और ऊर्जादायक है। यह आशा लोगों को प्रतिरोध की शक्ति प्रदान कर सकती है उनकी शक्ति को संचित करके एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक स्थानांतरित कर सकती है, बर्बादी एवं अत्याचार सहन करने से रोक सकती है यहां तक कि हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने का समय निकट आ जाये। यही कारण है कि आपके आने की प्रतीक्षा करने वाले विश्व में जगह- जगह पर अन्याय के विरुद्ध संघर्ष कर रहे हैं और वर्चस्वादियों के मुक़ाबलने में डटे हुए हैं। इस संबंध में ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई कहते हैं" प्रतीक्षा/कल्याण एवं शांति की ओर मानव इतिहास को गतिशील बनाने के लिए मनुष्यों और राष्ट्रों को आशा प्रदान करने वाला बिन्दु है। यदि संसार को एक सूरज प्रकाशमयी करेगा तो इसका यह अर्थ नहीं है कि उस प्रकाशमयी सूरज के आने तक हम अंधेरे में बैठे रहें। हम प्रतीक्षा में हैं अर्थात हमें इस बात की आशा है कि प्रयास से यह संसार कि जो ईश्वर के शत्रुओं, शैतानों, अत्याचारियों और ज़ोर-ज़बरदस्ती करने वालों से भर गया है, अनवरत व लगातार प्रयास की छाया में एक दिन ऐसे संसार में परिवर्तित हो जायेगा जिसमें मानवता एवं मानवीय मूल्य सम्मानीय होंगे और लोगों के अधिकारों का अतिक्रमण करने वालों और अत्याचरियों को ऐसा कोई अवसर व स्थान नहीं मिलेगा जहां वे अपनी अच्छाओं की पूर्ति कर सकेंगे" वास्तव में प्रतीक्षा का अर्थ वर्तमान स्थिति से संतुष्ट न होना है। मानवता इस बात की प्रतीक्षा में है कि संसार में भलाई का बोलाबाला हो जाये। जब मनुष्य इस विश्वास पर पहुंच जायेगा कि दुनिया की व्यवस्था न्याय के संचालन की ओर बढ़ रही है तो पूरे उत्साह एवं तनमयता से भलाई व सुधार के मार्ग में संघर्ष करेगा चूंकि वह जानता है कि न्याय के पौधे का विकास, निगरानी, सिंचाई और समस्याओं से संघर्ष पर निर्भर है। यह संसार ऐसे समय की प्रतीक्षा में है जब पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों में से इमाम महदी अलैहिस्सलाम प्रकट होंगें, सत्य को असत्य से अलग करेंगे और अपने पावन हाथों से लोगों के मध्य एवं उनके हृदयों में मित्रता का बीज बोएंगे। उस दिन हज़रत अली अलैहिस्सलाम के शब्दों में आसमान से पुकारने वाला आवाज़ देगा कि सत्य मोहम्मद की संतान के साथ है। उस समय ज़बानों पर महदी का नाम जारी होगा और उनका प्रेम दिलों में बैठ जायेगा तथा लोग उनके अतिरिक्त किसी और को याद नहीं करेंगे। |
हड्डियों को कमजोर बना सकती है चिंताएं
हड्डियों को कमजोर बना सकती है चिंताएं |
चिंता करने से आपकी हड्डियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और चिंता आपकी हड्डियों को कमज़ोर कर सकती है। आस्ट्रेलिया के डीकिन और नार्वे विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने नार्वे के 8,000 पुरुषों और महिलाओं पर किए शोध में यह परिणाम निकाला। शोधकर्ताओं ने अवसाद के लक्षणों और हड्डियों में खनिज तत्वों की कमी के मध्य एक प्रकार का संबंध पाया। अध्ययन में सम्मलित प्रतिभागियों के हाथों की हड्डियों में खनिज तत्वों की मात्रा जानने के लिए स्कैन किया गया। डीकिन शोधकर्ता लाना विलियम्स का कहना है कि अध्ययन में देखा गया कि पुरुषों में अवसाद और चिंता के लक्षणों का संबंध उनकी हड्डियों में खनिज तत्वों की कम मात्रा से है। श्री विलियम्स का कहना है उम्र अधिक होना, परिवार में ही इस प्रकार की समस्याएं होना, यौन हार्मोन्स की कमी, कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा न लेना और विटामिन डी की कमी, हड्डियों में खनिज तत्वों की कमी के कारण हैं। उन्होंने कहा, "यह संभव है कि ख़राब मानसिक स्वास्थ्य, हड्डियों में खनिज तत्वों की कमी का एक और कारक हो। हाल ही में मानसिक बीमारियों खासकर अवसाद और ओस्टीयोपोरोसिस के बीच संभावित सम्बंध शोध का विषय बन चुका है। |
Friday, 15 July 2011
BABUBHAI RANPURA
એક મુઠી ઊંચેરા માનવી જે અંતર ના દ્વાર ખોલી દે એવી જેની વાણી એવા પૂજ્ય શ્રી બાબુભાઈ રાણપુરા ને શતશ વંદન.
આજે ગુરુ પૂર્ણિમા ના પવન દિવસે સવાર થી જ એક વિશિષ્ટ વ્યક્તિના આગમન ની રાહ ઘરે જોઈ રહ્યા હતા. મારા મિત્ર શ્રી દિનેશભાઈ મારવાડા એ કહ્યું કે દયાળુ તમારે ઘરે આવે છે. પરિવાર ના બધા સભ્યો ને પણ કુતુહલતા કે શ્રી બાબુભાઈ રાણપુરા આપના ઘરે સામે ચાલી ને આવે. નવાઈ લાગતી હતી. બરાબર સવાર ના ૮.૩૦ કલાકે ભક્તો ની મેદની અને ગાડીઓ ની રમઝટ વચ્ચે કાળી કામલી અને અદ્ભુત તેજસ્વી કપાળ પર નાં તેજ સાથે ઘર આગળ તોરણ બંધાયું . દીકરી એ ચાંદલો કર્યો, ઘર માં પગલા કર્યા અને મારા બાપુજી શ્રી જુમાભાઈ ભગત ની તસ્વીર જોઈ બોલ્યા આ કોણ ? જાણે પહેલા નો પરિચય ન હોય? બસ આશીર્વાદ નો વરસાદ વરસાવ્યો , મીઠાઈ આપી ને ચાલ્યા ગયા. પણ જાણે એક દોરી સાથે બાંધતા ગયા હોય તેવું લાગ્યું. થોડી વાર માં જ પરિવાર સાથે માધાપર માં ગોઠવેલ ગુરુ પૂર્ણિમા ના સત્સંગ કાર્યક્રમ માં મળવા દોડી ચાલ્યા. બસ પછી તો અગમ-નિગમ ની વાતું ને સાચું જીવન જીવવાની રાહ દેખાડનાર આ મહાપુરુષ ના દર્શન થી જીવન કૃતજ્ઞ બની ગયું.
ગુરુ પૂર્ણિમા ના પાવન દિન પ્રાથમિક શાળા ના એક શિક્ષક ને શતશ પ્રણામ
ગુરુ પૂર્ણિમા ના પાવન દિન પર દરેક ના જીવન માં જ્ઞાન ની સરવાણી
વહાવનાર અને જીવન ઘડતર કરનાર ગુરુઓ જીવનભર ક્યારેય
ભુલાતા નથી. આમ તો જીવન માં જે જે વ્યક્તિ પાસેથી જીવન વિકાસ
માટે જે શીખવા મળ્યું એ ગુરુ. પણ કોઈ એક વ્યક્તિનો એટલો મહત્વનો
રોલ બની જાય છે કે આપની પોતાની
જિંદગી એનો ઋણ અદા કરવા ટૂંકી પડે છે.
મારા જીવન માં ગણા મહાન વ્યક્તિઓ નો ભેટો થયો. પૂજ્ય દાદાજી
પાંડુરંગ શાસ્ત્રી , પૂજ્ય મોરારીબાપુ, પૂજ્ય ભાઈશ્રી રમેશભાઈ ઓઝા ,
પૂજ્ય સ્વામીશ્રી સત્યનારાયણ ગીરીજી જેવા મહાન પુરુષો સાથે કામ
કરવાની તક મળી એ બાબત મારા જીવન માં ખુબ જ મહત્વ ની છે.
હું લખપત તાલુકા ના ૧૫૦ લોકો ની વસ્તી વાળા નાના એવા ખટિયા
ગામ નો વાતની. ધોરણ ૧-૪ નું પ્રાથમિક શિક્ષણ પૂરું કરી
ધંધાર્થે મારા બાપુજી શ્રી જુમા ભગત પાનધ્રો ગામ માં ૧૯૭૭ માં આવ્યા
હતા. ત્યારે પાનધ્રો ની શાળા માં અમદાવાદ ના વિરમગામ તાલુકાના
ટ્રેન્ટ ગામ ના વતની શ્રી રતિલાલ રાઠોડ સાહેબ જે મને કેળવણી ની
દિશા આપી એ જ મારા સાચા પથદર્શક બન્યા .
રતિલાલ સાહેબ નાં અક્ષરો એવા સુંદર કે જાણે
પ્રેસ નાં છાપેલા. એમને જોઈ ને એમ જ
થયા કરે કે એમના જેઓ થાઉં. ૧૯૭૭, ૧૯૭૮ અને ૧૯૭૯ એમ ત્રણ વર્ષ
માં મને એમણે જીવનનું ભાથું આપી દીધું. પોતે એકલા રહેતા એટલે
એમના ઘરે પાણી ભરી આપું, વાસણ સાફ કરી આપું, નાનું મોટું કામ
દોળતો કરી આવું. ૧૯૭૯ માં ધોરણ ૭ પાસ કરી ને મારે હાઇસ્કુલ ના
અભ્યાસ માટે નલિયા છાત્રાલય માં જવાનું થયું. મારી જાજાણી અટક
પણ એમણે નક્કી કરી આપી. બાકી તો મને આજે ઓળખે કોણ ? પાનધ્રો
થી તેઓ મને પત્ર લખતા, હું એમણે પત્ર લખતો. આ પત્ર નો સંબંધ એક
વર્ષ ચાલ્યો. ૧૯૮૦ માં એમની બદલી ભચાઉ તાલુકા ના મોટી ચીરાઇ
ગામ માં થઇ . પણ પત્ર થી મળવાનો અમારો સંબધ ચાલુ રહ્યો. નક્કી
કર્યું કે વેકેશન માં મળવા જરૂર આવીશ. ત્યાર બાદ ૧૯૮૩ માં
એસ.એસ.સી. કરી લીધી, ૧૯૮૫ માં પી.ટી.સી. કરી લીધી પણ પત્ર થી
મળવાનો અમારો સંબધ ચાલુ રહ્યો. ૧૯૮૬ થી તીર્થધામ નારાયણ
સરોવર માં શિક્ષક ની નોકરી મળી ગયી. હવે તેમને મળવાની તલબ
વધી ગયી. એક વાર વેકેશન માં મોટી ચીરાઇ ગયો
પણ તેઓ બહ્ર્ગામ ગયા એટલે ન મળ્યા. બસ આમ ન મળવા ના ઘણા
વર્ષો વીતી ગયા . છતાં પણ પત્ર થી મળવાનો અમારો સંબધ ચાલુ
રહ્યો. પછી તેમણે હળવદ માં બદલી કરાવી લીધી. ૨૦૦૬ માં એક
વાર સમાજવિધ્યા વિષય ની રાજ્ય કક્ષા ની તાલીમ માં બેચરાજી
જવાનું થયું. મારી સાથે મારા મિત્રો હરિભાઈ પટેલ, મદનભાઈ ઠક્કર
સાથે હતા . બે દિવસ ની તાલીમ બાદ મેં કહ્યું કે અહીં થી ટ્રેન્ટ ગામ
૧૮ કિલોમીટર દુર છે અને ત્યાં માર સાહેબ રહે છે. હું એમણે મળવા
જાઉં છું. તમે લોકો ભલે કચ્છ જાઓ . મને રતિલાલ સાહેબ ને મળવા
ની અંતર ની ઈચ્છા ઘણા વર્ષો બાદ પૂરી થઇ રહી છે, તેનો આનંદ
હૈયા માં સમાતો ન હતો. મેં સાહેબ માટે બેચરાજી થી પેન્ટ , શર્ટ અને
બહેન માટે સાળી લીધી. ટ્રેન્ટ ગામ માં એમના ઘર પૂછતો પૂછતો ગયો.
એમના પરિવાર માં ૪ ભાઈ નો મોટો કુટુંબ. બધા ને મળી ને આનંદ
થયો પણ મારા અંતરપટ પર વસનાર રતિલાલ સાહેબ મળ્યા નહિ. મેં
પૂછ્યું સાહેબ ક્યાં છે એમના ઘર ક્યાં છે?
હું એમણે મળવા કચ્છ થી આવ્યો છું અને એમના માટે આ કપડા
લાવ્યો છું. કોઈ કઈ બોલે નહિ. મોટા ભાઈ એ કહ્યું આ તમે બેઠા છો એ
એમનું જ ઘર છે પણ એ નથી. મેં કહ્યું કયા બહાર ગયા છે? ત્યારે મોટા
ભાઈ એ કહ્યું કે એક વર્ષ પહેલા હાર્ટ એટેક માં એમનું અવસાન થયું.
આ શબ્દો સાંભળી મને ખુબ જ ધ્રાસકો લાગ્યો. હું ખુબ ડઘાઈ ગયો.
સમજી ન શક્યો કે હું અહીં શેના માટે આવ્યો છું? ચોધાર આંસુએ રોઈ
પડ્યો. મારી સાથી પરિવાર ના બધા ખુબ જ દુખી થયા. સ્વસ્થતા
સાથે મેં સાથે લાવેલ કપડા એમને આપ્યા આખી હકીકત જાણી. વર્ષો
નાં મિલન ની ઈચ્છા આવી રીતે બનશે. એ કલ્પી ન શકાય એવું બન્યું.
મારા જીવન ઘડતર ના આ મારા સાહેબ , મારા ગુરુ, મારી પ્રેરણા,
મારા અંતરમન ના પૂજ્ય મારા પ્રાથમિક શાળા ના એક શિક્ષક ને
શતશ પ્રણામ .
Thursday, 14 July 2011
VIGYAN PRASAR EduSAT Network Proposed schedule for the month of July 2011
VIGYAN PRASAR EduSAT Network Proposed schedule for the month of July 2011
1.
Technical checking English/ Hindi Ms. Rita Technical person of SIT All SIT
2. Monday 4.7.11
Video Show Kahani Dharti ki Ep. 1-3 Tamil For common people All SIT’s
3. Tuesday 5.7.11
Training on Physics Kit Hindi Mr. Kapil Tripathi School level Physics Teachers
4. Wednesday 6.7.11
Cancer Cervix English/ Hindi Dr. Natasha Dr. Tabassum Degree level Students, Teachers and Science
Communicators All SIT’s
5. Thursday 7.7.11
Distance Education Programme (Science writing & Translation) Urdu Dr. Subodh Mahanti Dr. Obaidur
Rehman Mr. Mohammad Khaleel Journalism & language students Jammu & Kashmir and Lucknow
6. Friday 8.7.11
Popular Science Lecture chemistry in kitchen Hindi Dr. Narender Singh Students of class VIII to X All IT’s
7. Monday 11.7.11
Video Show Kahani Dharti ki Ep. 1-3 Malayalam For common people All SIT’s
8. Wednesday 13.7.11
Training programme on Disaster management Earthquake English Resource person
from national disaster management Students of Sd. XII and degree level & Science communicator, All SIT’s
9. Monday 18.7.11
Video Show Kahani Dharti ki Ep. 1-3 Bangla For common people All SIT’s
10. Wednesday 20.7.11
Demonstration on Optic kit English Mr. Rintu Nath Physics Teachers School level All SIT’s
11. Friday 22.7.11
Popular Science Lecture Importance of life Science English/ Hindi Dr. Monika Kaul Students of class IX to XII All SIT’s
12. Monday 25.7.11
Video Show Kahani Dharti ki Ep. 4-6 Hindi For common people All SIT’s
13. Thursday 28.7.11
Nature conservation Hindi Mr. Devendra Mewari Students, Teachers and Sci. Activist All SIT’s
14. Friday 29.7.11
Popular Science Lecture Conjunctivitis English/ Hindi Students, Teachers and Sci. Activist
1.
Technical checking English/ Hindi Ms. Rita Technical person of SIT All SIT
2. Monday 4.7.11
Video Show Kahani Dharti ki Ep. 1-3 Tamil For common people All SIT’s
3. Tuesday 5.7.11
Training on Physics Kit Hindi Mr. Kapil Tripathi School level Physics Teachers
4. Wednesday 6.7.11
Cancer Cervix English/ Hindi Dr. Natasha Dr. Tabassum Degree level Students, Teachers and Science
Communicators All SIT’s
5. Thursday 7.7.11
Distance Education Programme (Science writing & Translation) Urdu Dr. Subodh Mahanti Dr. Obaidur
Rehman Mr. Mohammad Khaleel Journalism & language students Jammu & Kashmir and Lucknow
6. Friday 8.7.11
Popular Science Lecture chemistry in kitchen Hindi Dr. Narender Singh Students of class VIII to X All IT’s
7. Monday 11.7.11
Video Show Kahani Dharti ki Ep. 1-3 Malayalam For common people All SIT’s
8. Wednesday 13.7.11
Training programme on Disaster management Earthquake English Resource person
from national disaster management Students of Sd. XII and degree level & Science communicator, All SIT’s
9. Monday 18.7.11
Video Show Kahani Dharti ki Ep. 1-3 Bangla For common people All SIT’s
10. Wednesday 20.7.11
Demonstration on Optic kit English Mr. Rintu Nath Physics Teachers School level All SIT’s
11. Friday 22.7.11
Popular Science Lecture Importance of life Science English/ Hindi Dr. Monika Kaul Students of class IX to XII All SIT’s
12. Monday 25.7.11
Video Show Kahani Dharti ki Ep. 4-6 Hindi For common people All SIT’s
13. Thursday 28.7.11
Nature conservation Hindi Mr. Devendra Mewari Students, Teachers and Sci. Activist All SIT’s
14. Friday 29.7.11
Popular Science Lecture Conjunctivitis English/ Hindi Students, Teachers and Sci. Activist
भावुकता से भरी अटलांटिस ने आखिरी उड़ान |
अमेरिकी अतंरिक्ष यान अटलांटिस आखिरी मिशन पर अंतरिक्ष के लिए रवाना हुआ. अपनी 33वीं उड़ान के बाद अंटलांटिस रिटायर हो जाएगा. वैज्ञानिक चमत्कारों की गवाही देने वाला 30 साल पुराना यह यान आगे म्यूजियम का हिस्सा बन जाएगा
तेज चमक और धुएं के गुबार के बीच शुक्रवार को 3.5 टन भारी अटलांटिस ने फ्लोरिडा के जेएफके स्पेस सेंटर से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए उड़ान भरी. यान 12 दिन के मिशन पर निकला है. 1981 से उड़ान भरने वाला अटलांटिस अब तक 355 अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष तक ले जा और वहां से ला चुका है. उड़ान की दूरी को देखा जाए तो अटलांटिस अब तक 87 करोड़ किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा कर चुका है.
शुक्रवार को अटलांटिस की उड़ान तय नहीं थी. खराब मौसम की वजह से लगा कि उड़ान टालनी पड़ेगी. लेकिन दोपहर के वक्त नासा के फाइरिंग रूम से गो की आवाज आई. उड़ान भरने के लिए उल्टी गिनती शुरू हुई. लेकिन जब गिनती 31 सेंकेंड पर रुकी तो लगा कि अभियान टल गया है. यान पर लादे गए सामान के भार की जांच की गई. हरी झंडी मिलने पर उल्टी गिनती फिर शुरू हुई और स्थानीय समायानुसार 11 बजकर 29 मिनट पर अटलांटिस अंतरिक्ष के लिए निकल पड़ा.अटलांटिस का क्रू
यान के आखिरी अभियान में शामिल सभी अंतरिक्ष यात्री अमेरिकी हैं. क्रू में क्रिस फर्गुसन, डग हर्ले, सैंडी मैगनस और रेक्स वैलहाइम शामिल हैं. लॉन्च डायरेक्टर ने क्रू सदस्यों को अमेरिका की पहचान बताया. यान रविवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ेगा. क्रू और यान सात दिन तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ा रहेगा.
इस मिशन में अटलांटिक स्पेस स्टेशन में काम कर रहे वैज्ञानिकों के लिए खाना गया है. साथ में एक ऐसा रोबोट भी है जो अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे सैटेलाइट्स में दोबारा ईंधन भरने के प्रयोग का हिस्सा है.
अटलांटिस से पहले नासा के डिस्कवरी और एंडेवर यान रिटायर हो चुके हैं. अटलांटिस के रिटायर होने के बाद नासा रूसी रॉकेटों के जरिए अंतरिक्ष अभियान में हिस्सा लेगा. आशंका है कि अटलांटिस के रिटायर होते ही कैनेडी स्पेस सेंटर का काफी काम कम हो जाएगा, जिसके चलते कई लोगों की नौकरी चली जाएगी. ऐसी भावुक बातों के साथ अटलांटिस के आखिरी अभियान के प्रति खासा अनुराग पनप चुका है.
भारत को रूस की नागरिक वैमानिक परियोजनाओं में शामिल होने का निमंत्रण
रूस के उपप्रधानमंत्री सेर्गेय इवानोव ने भारत से कहा है कि वह रूस की नागरिक वैमानिक परियोजनाओं में शामिल हो।
सेंट पीटर्सबर्ग में चल रहे "पीटर्सबर्ग आर्थिक फ़ोरम" के अन्तर्गत आयोजित "रूसी-भारतीय बातचीत" कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा- हम पिछले अनेक वर्षों से लड़ाकू विमानों के निर्माण के क्षेत्र में आपसी सहयोग कर रहे हैं। अब इस सहयोग को नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में विकसित करने का समय आ गया है।
उनके अनुसार रूस सुख़ोई सुपरजेट, ए०एन०-148 और तू-204 एस०एम० जैसे विमानों के निर्माण में भारत के साथ सहयोग कर सकता है।
इसके अलावा मास्को मध्यम दूरी के विमानों के निर्माण में भी नई दिल्ली के साथ सहयोग करने को तैयार है। रूस चाहता है कि भारतीय कम्पनी एच०ए०एल० एयरोनॉटिक्स मध्यम दूरी के एम०एस०-21 नामक नागरिक विमानों के निर्माण में रूस के साथ सहयोग करे।
यूराल में प्रदर्शनी “इन्नोप्रोम-2011” का उद्घाटन हुआ
अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी “इन्नोप्रोम-2011” का आयोजन दूसरी बार इकातेरीनबुर्ग (यूराल) में हो रहा है। प्रदर्शनी के आगुंतकों को ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण, औषधि विज्ञान, परिवहन व उद्योग और विज्ञान की दूसरी शाखाओं के क्षेत्र में नई परियोजनाएं देखने को मिलेंगी। रूस और अन्य देशों की बड़ी कंपनियाँ यहाँ अपनी नई खोजों का प्रदर्शन करेंगी। इसके अतिरिक्त इस प्रदर्शनी में “इन्नोप्रोम कार्यशाला” भी होगी, जिसमें स्कूली छात्र, विश्वविद्यालय के छात्र व रिसर्च विद्यार्थी अपने कार्यों का प्रदर्शन कर सकेंगे। कंपनियों को “इन्नोप्रोम” में कुल 1.7 अरब डॉलर मूल्य के लगभग 40 बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है।
अन्तरिक्ष में भी कूड़े की सफ़ाई ज़रूरी है |
रूस का अन्तरिक्ष कारपोरेशन “एनेर्गिया” एक ऐसा अन्तरिक्ष यान बना रहा है, जिसमें बैठकर अन्तरिक्ष यात्री अन्तरिक्ष में तैनात उपग्रहों की मरम्मत करने के लिए जाया करेंगे। यही नहीं, इस यान की सहायता से पृथ्वी की परिधि पर उपस्थित अनुपयोगी उपग्रहों और नष्ट हो गए यानों या उपग्रहों के टुकड़ों यानी अंतरिक्षीय कूड़े को इकट्ठा करना संभव होगा। सन् 2015 में रूस के वस्तोचनी अंतरिक्ष अड्डे से यह अन्तरिक्ष यान पहले बिना यात्रियों के ही अन्तरिक्ष में रवाना किया जाएगा और तीन वर्ष बाद अंतरिक्ष यात्री भी इस तरह के अन्तरिक्ष यान में सवार हो सकेंगे।
इस अंतरिक्ष यान में आम तौर पर दो अंतरिक्ष यात्री रहेंगे जो खुले अंतरिक्ष में बाहर निकलकर घूम-फिर सकेंगे और उपग्रहों के विभिन्न कल-पुर्जों और हिस्सों को बदल सकेंगे। इन अंतरिक्ष-यात्रियों की पोशाक पर ऐसे यंत्र-उपकरण लगे होंगे, जिनकी सहायता से वे उपग्रहों का अपनी सुविधानुसार संचालन कर सकेंगे। आम तौर पर वे दो सप्ताह तक अन्तरिक्ष में रहेंगे। मरम्मत अभियानों पर जाने वाले ये अन्तरिक्ष-यात्री आम तौर पर उन उपग्रहों की मरम्मत का काम करेंगे जो अंतरिक्ष में रहकर पृथ्वी पर नज़र रखते हैं या पृथ्वी के मौसम की भविष्यवाणी करने के काम आते हैं। इन अन्तरिक्ष यानों का दूसरा उद्देश्य अन्तरिक्ष में उपस्थित कूड़े की सफ़ाई करना होगा। रूसी अन्तरिक्ष कारपोरेशन “एनेर्गिया” के अध्यक्ष के वैज्ञानिक सलाहकार वीक्तर सिन्याव्स्की ने बताया
अंतरिक्ष में स्थापित किए गए वे पुराने उपग्रह जो अब अनुपयोगी हो गए हैं, अंतरिक्ष में लगातार घूमते हुए बड़ा ख़तरा पैदा करते हैं। इन सभी को एक जगह इकट्ठा करके इन्हें एक विशेष यंत्र के माध्यम से समुद्र में डुबो देना चाहिए। इस तरह पृथ्वी की परिधि को साफ़ किया जा सकता है।
पृथ्वी के चारों तरफ़ अन्तरिक्ष में आजकल विभिन्न उपग्रहों और राकेटों के करीब 6 लाख टुकड़े घूम रहे हैं, जिनका आकार एक सेंटीमीटर और उससे बड़ा है। विशेषज्ञ इन में से 19 हज़ार बड़े-बड़े टुकड़ों पर नज़र रखते हैं, जिनका वज़न कई किलो तक है। लेकिन नन्हे-नन्हे टुकड़े भी अन्तरिक्ष यात्रियों की अन्तरिक्ष-पोशाक में छेद कर सकते हैं। अन्तरिक्ष कूड़े की यह समस्या दिन-ब-दिन तीख़ी होती जा रही है। वीक्तर सिन्याव्स्की ने कहा –
समय के साथ-साथ कूड़ा बढ़ता जा रहा है। अन्तरिक्षीय कूड़े के ये टुकड़े जब एक-दूसरे से टकराते हैं तो उनमें फिर टूट-फूट होती है। इस तरह कूड़ा बढ़ता जा रहा है और बढ़कर कई गुना होता जा रहा है क्योंकि जब अनुपयोगी राकेटों या उपग्रहों के अंश आपस में टकराते हैं तो वे कई-कई गुना अधिक टुकड़ों में बदल जाते हैं और ये टुकड़े नए उपग्रहों और अन्तरिक्ष यानों के लिए ख़तरा पैदा करते हैं। इसीलिए अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन के आस-पास लगातार जाँच की जाती है और करीब-करीब हर हफ़्ते अन्तरिक्ष में उड़ते कूड़े से अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन को बचाना पड़ता है। इसके इसलिए अन्तरिक्ष स्टेशन को उसके लिए तय परिधि से ऊपर हटाना पड़ता है।
Subscribe to:
Posts (Atom)