Sunday, 18 December 2011

સદભાવના ઉપવાસ કાર્યક્રમ ભચાઉ માં પપેટ શો

સદભાવના ઉપવાસ કાર્યક્રમ ભચાઉ  માં પપેટ શો 
ગુજરાત ના મુખ્યમંત્રી માન, શ્રી નરેન્દ્ર મોદી ના સદભાવના ઉપવાસ કાર્યક્રમ માં પપેટ શો રજુ કરવાનો અવસર મળ્યો . તા. ૧૮-૧૯ નવેમ્બર ૨૦૧૧ ના બે દિવસ સુધી સરકારશ્રી ની શિક્ષણ ની યોજનાઓ પ્રવેશોત્સવ, કન્યા કેળવણી , વિદ્યાદીપ , મફત પાઠ્યપુસ્તક યોજના , શિષ્યવૃત્તિ-ગણવેશ યોજના , પ્રજ્ઞા, શાળા આરોગ્ય તપાસણી, બાળ આરોગ્ય વગેરે વિષયો પર આધારિત પપેટ શો રજુ કરવામાં આવેલ. તા. ૧૮-૧૧-૨૦૧૧ ના સવારે ૯.૦૦ કલાકે માન. મુખ્યમંત્રી શ્રી નરેન્દ્ર મોદી આ પપેટ શો નિહાળવા પધારેલ. સમગ્ર દિવસ દરમિયાન હજારો લોકો વિશેષકર નાના બાળકો એ પપેટ નિહાળવા ખુબ જ રૂચી દર્શાવી. 








આ પપેટ શો માં હરીલાલ પટેલ, મદનભાઈ ઠક્કર, તૃપ્તિબેન ઠાકર , અમિત ગોર, કંચનબા જાડેજા,  રાજેશ સુમેરા વગેરેએ શો પ્રદર્શિત કરેલ. 

Voice of Russia Listener's Conference PHOTO

मित्रों का क्लब № 932 (6 दिसम्बर, दूसरी सभा का कार्यक्रम)


मित्रों का क्लब № 932 (6 दिसम्बर, दूसरी सभा का कार्यक्रम)

 
7.12.2011, 14:49
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Photo: RIA Novosti
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-          नमस्कार, प्रिय श्रोताओ!
-          नमस्कार, प्रिय मित्रो! इस कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता मैं, यानी ल्यूदमीला...
-          ...और मैं, यानी कश्मीर, हमारी आज की बैठक में भाग लेने वाले अपने सभी श्रोताओं का अभिनंदन करते हैं।

इस सम्मेलन तथा रूस और भारत के बीच 'रेडियो रूस' की गतिविधियों को समर्पित एक वीडियो फ़िल्म देखिए।

मित्रों का क्लब - 22 नवंबर 2011


मित्रों का क्लब - 22 नवंबर 2011

विषय: रूसी-भारतीय रणनीतिक सहयोग (188 टिप्पणियाँ)
 
26.11.2011, 16:23
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© Collage: 'The Voice of Russia'
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मित्रों का क्लब - 22 नवंबर 2011

दिल्ली में ‘रेडियो रूस’ के श्रोताओं का अखिल भारतीय सम्मलेन हो रहा है


दिल्ली में ‘रेडियो रूस’ के श्रोताओं का अखिल भारतीय सम्मलेन हो रहा है

विषय: दिल्ली में रेडियो रूस के श्रोताओं का सम्मेलन (6 टिप्पणियाँ)
 
1.12.2011, 16:52
© The Voice of Russia
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दिल्ली में रूसी विज्ञान और संस्कृति केन्द्र में ‘रेडियो रूस’ के श्रोताओं का छठा अखिल भारतीय सम्मलेन हो रहा है| परम्परागत बन चुके इस सम्मलेन की पूर्ववेला में भारतीय प्रेस ने उस पर  बड़ा ध्यान दिया| दिल्ली से प्रकाशित Russia&India Report ने ‘रेडियो रूस’ के अध्यक्ष अंद्रेई बिस्त्रित्सकी का व्यापक इंटरव्यू छापा| इसमें उन्होंने भारत के लिये FM सहित वर्तमान रूसी रेडियो प्रसारणों और उनके विकास के बारे में विस्तार से बताया| रूस के मूर्धन्य साहित्यकारों विशेषकर अन्तोन चेखोव की रचनाओं के रूपांतरों का प्रसारण ‘रेडियो रूस’ की नयी दिशा है| चेखोव के नाटक भारत में अत्यंत लोकप्रिय हैं| रेडियो रूपांतरों के प्रसारण पर अपनी प्रतिक्रिया में श्रोता लिखते हैं कि ‘इनके फलस्वरूप हम रहस्यमय रूसी आत्मा को बेहतर समझने लगे’| ‘रेडियो रूस’ इस परियोजना का विकास करेगा| शीघ्र ही अलेक्सांद्र ओस्त्रोव्सकी और लेव तोलस्तोय की रचनाओं के रेडियो रूपांतर प्रसारित किये जायेंगे| 

रेडियो रूस के श्रोताओं और श्रोता क्लबों के छठे अखिल भारतीय सम्मेलन का काम समाप्त हो गया है


रेडियो रूस के श्रोताओं और श्रोता क्लबों के छठे अखिल भारतीय सम्मेलन का काम समाप्त हो गया है

विषय: दिल्ली में रेडियो रूस के श्रोताओं का सम्मेलन (6 टिप्पणियाँ)
 
2.12.2011, 17:25
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© रेडियो रूस
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2 दिसम्बर को दिल्ली में रूसी विज्ञान और संस्कृति केंद्र में रेडियो रूस के श्रोताओं और श्रोता क्लबों के छठे अखिल भारतीय सम्मेलन का काम समाप्त हो गया है।
लीजिए हमारी संवाददाता नताल्या बेन्युखकी रिपोर्ट सुनिए।

रेडियो रूस के छठे अखिल भारतीय श्रोता सम्मेलन पर श्रोताओं की प्रतिक्रिया


रेडियो रूस के छठे अखिल भारतीय श्रोता सम्मेलन पर श्रोताओं की प्रतिक्रिया

विषय: दिल्ली में रेडियो रूस के श्रोताओं का सम्मेलन (6 टिप्पणियाँ)
 
6.12.2011, 17:19
Photo: Voice of Russia
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1 और 2 दिसंबर को नयी दिल्ली स्थित रूसी विज्ञान एवं संस्कृति केंद्र में संपन्न रेडियो रूस के छठे अखिल भारतीय श्रोता सम्मेलन पर हमारे श्रोताओं ने व्यापक प्रतिक्रिया की। सम्मेलन के एक सहभागी श्री सुबोध खंडेलवाल ने हमें खबर दी कि उन्होंने हिन्दी होम पेज नाम के इलेक्ट्रोनिक पेपर में इस श्रोता सम्मेलन के बारे में एक रिपोर्ट जारी की। उनके कथनानुसार श्रोता सम्मेलन बहुत सफल रहा। खास तौर पर भारत में रूस के राजदूत अलेक्सांदर कदाकिन का भाषण अच्छा लगा, जिनको भारत के बड़े दोस्त के रूप में जाना जाता है। रूसी राजदूत अच्छी हिंदी बोलते हैं, भारतीय संस्कृति और साहित्य से अच्छी तरह परिचित हैं। श्रोता सम्मेलन के सहभागियों ने रूसी राजदूत के अभिनन्दन संदेश, रेडियो रूस के प्रतिनिधियों तथा सम्मानित भारतीय अतिथियों के भाषणों को बड़ी दिलचस्पी से सुना। तथा औपचारिक कार्यक्रम की समाप्ति पर उन्होंने सौहार्दपूर्ण खुशगवार महौल में आपस में बातें कीं।
हमारी रेडियो कंपनी के लिये अंतरवार्ता में बरमा, शेखपुरा, बिहार से किसान श्रोता क्लब के अधयक्ष श्री कृष्ण मुरारी सिंह `किसान` ने ज़ोर देकर कहा कि नयी दिल्ली स्थित रूसी विज्ञान एवं संस्कृति केंद्र में रेडियो रूस के श्रोता क्लबों का यह सम्मेलन रूसी राजदूतावास के समर्थन से छठी बार आयोजित किया गया है। इसमें भाग लेने के लिये भारत के कोने कोने से 150 से ज़्यादा श्रोता क्लबों के प्रतिनिधि पहुंचे। प्रतिवर्ष आयोजित किये जानेवाले ये सम्मेलन रेडियो रूस के सभी श्रोता मित्रों को एक दूसरे से मिलने, संयुक्त परियोजनाओं पर विचार-विमर्श करने की संभावना प्रदान करते हैं तथा रूस और भारत के बीच आपसी समझ बढ़ाने में अपना योगदान करते हैं। रूस के राजदूत अलेक्सांदर कदाकिन ने दिल्ली सम्मेलन में बोलते हुए यह विचार प्रकट किया कि रेडियो रूस के कार्यक्रम भारत और रूस को आपस में जोड़नेवाले सेतु को सुदृढ़ बनाने में सहायक हैं। रेडियो रूस भारत वासियों के लिये रूस देश के बारे में निष्पक्ष जानकारी का एकमात्र स्रोत है। `फ़ीवर-104 एफ़एम` के साथ हमारी रेडियो कंपनी के सहयोग से नयी दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, बेंगलोर में श्रोताओं की संख्या बढ़ रही है।

दिल्ली में रेडियो रूस के श्रोताओं का सम्मेल


दिल्ली में रेडियो रूस के श्रोताओं का सम्मेलन

Japanese song by Nanji Janjani

Nanji Janjani sing a japanese son : Atama Kata Hizashi
Link this site.
of NHK World
http://www3.nhk.or.jp/nhkworld/jpcm/english/index.html

Thursday, 24 November 2011

रेडियो रूस के छठे अखिल भारतीय श्रोता सम्मेलन 1 Dec.2011


प्रिय मित्र,
हम आपको रेडियो रूस कंपनी के छठे अखिल भारतीय श्रोता सम्मेलन में भाग लेने के लिए सादर आमंत्रित करते हैं।
इस सम्मेलन का आयोजन 1 दिसंबर को 11 बजे से 2 बजे तक नयी दिल्ली में स्थित रूसी विज्ञान एवं संस्कृति केंद्र में किया जायेगा, जिसका पता है – 24, फिरोज़शाह रोड, 
नई दिल्ली – 110002।
शुभकामनाओं सहित, 
आपका 
रेडियो रूस


Voice of Russia:2011 प्रतियोगिता दूसरा पुरस्कार नानजी जानजानी जी को


2011 प्रतियोगिता के विजेता


जुरी मंडल के अनुसार पहला पुरस्कार कुरुक्षेत्र हरियाणा से ‘इंटरनेशनल रेडियो लिस्टरनर्स एंड फ़्रटरनिटी क्लब’ के अध्यक्ष मितुल कंसल जी को दिया जा रहा है।
दूसरा पुरस्कार ‘काडेरमा मास्को लिस्नर्स क्लब’ की अध्यक्ष मिस अनुभा जी को और भुज कच्छ गुजरात से ‘वर्ल्ड रेडियो लिस्नर्स क्लब’ के अध्यक्ष नानजी जानजानी जी को दिया जा रहा है।
और तीसरा पुरस्कार पुरानी बस्ती कटनी मध्य प्रदेश से ‘डिस्ट्रिक्ट रेडियो लिस्नर्स क्लब’ के अध्यक्ष अनिल ताम्रकार को तथा नई दिल्ली के दीपक कुमार को देने का फ़ैसला किया गया है।
हम सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई देते हैं और आशा करते हैं कि आप पुरस्कार लेने और हम लोगों से मिलने के लिए पहली दिसंबर को दिल्ली ज़रूर आएँगे।
प्रोत्साहन पुरस्कार के हकदार बन गए हैं – Krishna Murari Singh “Kisan”, Krishna Kumar Jaiswal, Arun Balaso Awati, Ravi Shrivastav, Jayanta Chakrabarty, Johnson Kongari, Radha Rani Khandelwal, Pammi Arya, Bhawni Arya, Abid Hasan, Pradip Kumar Premi ।
2011 की प्रतियोगिता के अलावा इस साल हमारी काव्य और हास्य प्रतियोगिताएँ भी जारी रहीं। और हम बड़ी ख़ुशी से इन प्रतियोगिताओं के विजेताओं की भी घोषणा करते हैं।
नई दिल्ली के राम कुमार नीरज जी और शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश के आर. एन. सिंह यानी हरिवंश योगी जी काव्य प्रतियोगिता के और शेखपुरा बिहार से विकास कुमार हास्य प्रतियोगिता के विजेता रहे हैं।  
हमारी हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार कीजिए, मित्रो!

Saturday, 5 November 2011

Voice of Russia Listener's conference in New Delhi.

वोईस ऑफ़ रसिया, हिंदी विभाग की ओर से वर्ष २०११ की प्रतियोगिता के प्रश्न 
(१) युरी गागारिन कौन थे और अंतरिक्ष  पर मानव की विजय के क्षेत्र में उनका क्या योगदान रहा ? युरी गागारिन ने भारत की यात्रा कब की थी और वे किन किन शहरों में या स्थानों पर गए थे ?
(२) महाकवि रविन्द्रनाथ टैगोर की किस रचना मे रूस का जिक्र है ? यह रचना कैसे रची गयी और ऐसी क्या बात है जो इस रचना  को अनूठा बनाती है ?
(३) भारतीय पाठकों के बिच कौन से रुसी लेखक लोकप्रिय है और क्यों ? आपने किन-किन लेखकों की कौन कौन सी रचनाये पढ़ी है ? कृपया विस्तार से बताये की रुसी लेखकों की रचनाओ में ऐसी क्या बात है जो आपको आकर्षित करती है ?
(४) भारत और रूस के कलाकारों, अभिनेताओं, और फिल्म निर्देशको ने परदेशी , मेरा नाम जोकर , रिक्की-टिक्की-टवी  और अलीबाबा और चालीस चोर जैसी कई फिल्मे मिलकर बनाई हैं | इन फिल्मों में काम करने वाले अभिनेताओं और इन फिल्मो के निर्देशकों के नाम बताएं |
दोस्तों इन चार प्रश्नों के उत्तर रेडियो रूस के पते पर नवम्बर-२०११ के अंत से पहले मिल जाने चाहिए | 
आगामी १-२  दिसंबर २०१२ के दिन रेडियो रूस के श्रोताओं का अखिल भारतीय श्रोता समेलन रुसी विज्ञान और सांस्कृतिक केंद्र , फिरोजशाह रोड, नई दिल्ही में होगा | जहा इस प्रतियोगिता के विजेताओं के नाम की घोषणा की जायेगी और पुरस्कार दिए जायेगे | 
Address:Hindi Service, India and Pakistan Department,
Voice of Russia, 25/1 Pyatnitskaya Str., Moscow, 115326, Russia
Send answer on e-mail : letters@ruvr.ru

Wednesday, 20 July 2011

नानजी जानजानी का पत्र रेडियो तेहरान की वेब साइड पर

नानजी जानजानी का पत्र रेडियो तेहरान की वेब साइड पर 
http://hindi.irib.ir/index.php/2010-06-06-11-04-06/21275-2011-05-11-11-30-39.html

हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम का जन्म दिवस


हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम का जन्म दिवस
आज १५ शाबान का शुभ अवसर है। सन २५५ हिजरी क़मरी में १५ शाबान को हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की फूफी जनाब हकीमा उनके घर आयीं ताकि अपने परिजनों से भेंट करें। जनाब हकीमा जब लौटने का इरादा करती हैं तो इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम उनसे कहते हैं" फूफी जान आज रात्रि हमारे पास रहें, इस पर जनाब हकीमा कहती हैं, आज हमने आपको काफी कष्ट दिया। इमाम कहते हैं आज रात्रि हमारे यहां बेटा होगा कि महान ईश्वर ज़मीन को उसके ज्ञान, ईमान और मार्गदर्शन से भर देगा जबकि ज़मीन अत्याचार एवं अन्याय से भर चुकी होगी। जनाब हकीमा उस समय खुशी के साथ आश्चर्य भरे नेत्रों से पूछती हैं यह मुबारक शिशु नरजिस से होगा? इमाम ने कहा जी हां।

शताब्दियों से है संसार का हृदय महान मुक्तिदाता की प्रतीक्षा में धड़क रहा है और अत्याचारग्रस्त व पीड़ित लोग इस प्रतीक्षा में हैं कि महान मुक्तिदाता सुबह की मृदु पवन की भांति थके हुए हृदयों में तरुणाई प्रदान कर दे। यह प्रतीक्षा व आशा एक ओर मानव समाज में नई जान फूकती है तो दूसरी ओर शांति व कल्याण की शुभ सूचना देती है जो महान मुक्तिदाता के आगमन पर व्यवहारिक होगी।

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम के सुपुत्र और पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों में हैं। आपकी माता रोम के राजा की पोती हैं। हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम से उनका विवाह एक बहुत ही आश्चर्यजनक घटना थी। इमाम महदी अलैहिस्सलाम के जन्म के पश्चात हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम गोपनीय ढंग से आपकी देखभाल करते थे। महान ईश्वर ने बचपन में ही उन्हें तत्वदर्शिता एवं न्याय करने की क्षमता प्रदान की और उन्हें विश्ववासियों के लिए निशानी बनाया परंतु शत्रुओं से अपनी जान के सुरक्षित न होने के कारण हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम बचपन में ही लोगों की नज़रों से ओझल हो गये। अलबत्ता एक समय तक कुछ विशेष हस्तियों के माध्यम से लोग आपसे संपर्क करते थे फिर उसके बाद आप महान ईश्वर की इच्छा से पूरी तरह लोगों की नज़रों से ओझल हो गये। अब आप को लोगों की नज़रों से ओझल हुए शताब्दियों का समय बीत रहा है और लोग अपने दिलों में उनके आने की आशा का द्वीप जलाये उनकी प्रतीक्षा में उद्देश्यपूर्ण जीवन बिता रहे हैं।


पूरे मानव इतिहास में महामुक्तिदाता के आने का विषय मौजूद था। इस शुभसूचना की ओर बड़े व महान ईश्वरीय पैग़म्बरों ने व्यापक स्तर पर संकेत किया है। सिद्धांतिक रूप से अंतिम मोक्षदाता के प्रकट होने का विश्वास रखना वह विषय है जिसे यहूदी, पारसी, ईसाई और विशेषकर ईश्वरीय धर्म इस्लाम में एक मूल सिद्धांत के रूप में माना गया है। पवित्र क़ुरआन की कुछ आयतों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इस बात की शुभसूचना पूर्व के पैग़म्बरों की किताबों में भी दी गयी है। महान ईश्वर पवित्र क़रआन के सूरये अंबिया की १०५वीं आयत में कहता है" और हमने ज़बूर में ज़िक्र के बाद लिख दिया है कि ज़मीन के उत्तराधिकारी हमारे भले बंदे ही बनेंगे"

यह आयत ऐसे भविष्य के बारे में शुभ सूचना देती है जिसमें हर प्रकार की बुराई पूर्णरूप से मानव समाज से मिट जायेगी और ज़मीन के उत्तराधिकारी भले व योग्य बंदे बनेंगे। हज़रत दाऊद पर उतरी आसमानी किताब ज़बूर में बारम्बार इस बात की शुभ सूचना दी गयी है और हज़रत दाऊद को ढ़ारस बंधाती है कि बुरे लोगों से दुःखी न हो क्योंकि घास की भांति शीघ्र ही उन्हें काट लिया जायेगा, ईश्वर पर भरोसा करो और उसके अस्तित्व से आनंद उठाओ, क्योंकि बुरे लोंगों का अंत हो जायेगा और ईश्वर पर भरोसा करने वाले ही ज़मीन के उत्तराधिकारी होंगे"

पारसियों की धार्मिक पुस्तक ज़न्द में भी अन्याय व अत्याचार के समाप्त होने तथा भले बंदों के ज़मीन का उत्तराधिकारी होने की ओर संकेत किया गया है। इसी प्रकार यह किताब अच्छाई और बुराई के बीच सदैव लड़ाई जारी रहने की ओर संकेत करती और बल देकर कहती है कि उददंडी व अत्याचारी लोगों के गुट समाप्त होने के बाद संसार के अपने मूल कल्याण व सफलता तक पहुंच जायेंगा और आदम की संतान भलाई के सिंहासन पर बैठेगी"

हिन्दु धर्म की पुस्तकों में भी मुक्ति दिलाने वाले का उल्लेख मिलता है। महाभारत में आया है" समस्त धर्मों का मानना है कि इतिहास के हर कालखंड की समाप्ति पर मनुष्य का आध्यात्मिक एवं नैतिक दृष्टि से पतन हो जायेगा और चूंकि स्वाभाविक रूप से उसका पतन हो रहा है तथा वह ब्रह्मांड की रचना करने वाले से दूर हो रहा है इसलिए वह स्वयं इस पतन को नहीं रोक सकता। तो अंततः एक दिन आध्यात्मिक दृष्टि से एक ऐसा महान व्यक्ति प्रकट होगा जिसका सृष्टि के रचयिता से संपर्क होगा और संसार को अज्ञानता, अचेतना और अन्याय के अंधकार से मुक्ति दिलायेगा"



यहूदी धर्म के लोग भी, जो स्वयं को ईश्वरीय दूत हज़रत मूसा का अनुयाई समझते हैं, मुक्तिदाता की प्रतीक्षा में हैं। यहूदी धर्म की धार्मिक रचनाओं, तौरात और उनके दूसरे पैग़म्बरों की किताबों में मुक्तिदाता के आने की ओर बारम्बार संकेत किया गया है।
इंजील मत्ता, लूक़ा, मरक़स, बरनाबा और युहन्ना जैसी ईसाईयों की पवित्र पुस्तकों में भी अंतिम समय में प्रकट होने वाले मुक्तिदाता के बारे में बहुत अधिक संकेत किया गया है।

महामुक्तिदाता और उस पर विश्वास का विषय, जब इस्लाम तक पहुंचता है तब यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है। इस्लामी शिक्षाओं में विश्व के महामुक्तिदाता का विशेष निशानियों के साथ परिचय कराया गया है और इस संबंध में हर प्रकार की भ्रांति व ग़लत बात का खंडन किया गया है। उस महामुक्तिदाता का पावन अस्तित्व पूरे विश्व को न्याय से भर देगा और हर प्रकार के अत्याचार व अन्याय का संसार से अंत कर देगा। ईश्वरीय धर्म इस्लाम शुभ सूचना देता है कि भविष्य में मनुष्य कल्याण और न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा के साथ जीवन बितायेगा। सुन्नी मुसलमानों की विश्वसनीय पुस्तक सुनने तरमज़ी में आया है कि एक दिन हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने अपने बेटे हज़रत इमाम हुसैन की ओर देखा और कहा" यह मेरा बेटा क़ौम व राष्ट्र का सरदार है जैसाकि पैग़म्बरे इस्लाम ने उसे सरदार कहा है और उसकी संतान से एक व्यक्ति आयेगा जिसका नाम तुम्हारे पैग़म्बर का नाम होगा और शिष्टाचार व व्यवहार में वह उनके जैसा होगा तथा वह ज़मीन को न्याय से भर देगा"

हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम भी कहते हैं" प्रशंसा उस ईश्वर की जिसने मुझे दुनिया से नहीं उठाया यहां तक कि मैंने अपने उत्तराधिकारी को देख लिया। वह व्यवहार एवं आचरण में लोगों में सबसे अधिक पैग़म्बरे इस्लाम जैसा है। जिस समय वह ग़ैबत अर्थात लोगों की दृष्टि से ओझल रहेगा ईश्वर उसकी रक्षा करेगा और फिर उसे प्रकट करेगा"
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का चेहरा आकर्षक व तेजस्वी है। वह सर्वसमर्थ व महान ईश्वर की महानता के समक्ष नतमस्तक हैं और वह स्वयं महान ईश्वर की महानता एवं सुन्दरता की प्रतिमूर्ति हैं। हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम सचरित्र, न्यायी और नम्र स्वभाव के हैं। वह रत्ती बराबर भी सच व न्याय की अनदेखी नहीं करेंगे तथा संसार में मार्गदर्शन के प्रज्वलित दीपक के साथ चलेंगे ताकि पूरा संसार ईमान, समानता, बराबरी एवं वास्तविक न्याय से भर जाये। महान पैग़म्बरे इस्लाम और दूसरे ईश्वरीय दूतों ने जब भी हज़रत महदी अलैहिस्सलाम के आने की शुभ सूचना दी/ तो मानव जीवन का कल्याण करने, न्याय की स्थापना और अत्याचार से संघर्ष की उनकी विशेषताओं की ओर संकेत किया है।
पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेहि व सल्लम और उनके पवित्र परिजनों के कथनों में महामुक्तिदाता को ज़ख़ीरये एलाही, वारिसे ऊलूम, साहिबे अम्र और साहिले अम्न जैसी उपाधियों से याद किया गया है। हज़रत महदी अलैहिस्सलाम ईश्वरीय दूतों के सदगुणों एवं परिपूर्णता के उत्तराधिकारी हैं। इस आधार पर वह तत्वदर्शिता, ज्ञान, प्रेम, शूरवीरता, त्याग, क्षमाशीलता और विन्रमता जैसी विशेषताओं में दूसरे ईश्वरीय दूतों की भांति हैं।
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि वह भेदभाव और अन्याय का अंत कर देंगे और न्याय, आज़ादी एवं सुरक्षा के साथ मानव जीवन का कल्याण करेंगे। वह न्याय पर आधारित विश्व की आधारशिला रखेंगे जिसमें मनुष्य के जीवन से दुःख व अन्याय समाप्त हो जायेगा और भले, योग्य और ईमानदार लोग मानव समाज के शासक व ज़िम्मेदार बनेंगे।
फ्रांसीसी इतिहासकार gustave le bon कहते हैं"मानव समाज के सबसे बड़े सेवक वे लोग हैं जो लोगों को आशान्वित रख सकें हैं"
इस बात से हटकर कि हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने की आशा व प्रतीक्षा भविष्य की ओर एक रास्ता है, मनुष्य को गतिशील बनाने वाली और ऊर्जादायक है। यह आशा लोगों को प्रतिरोध की शक्ति प्रदान कर सकती है उनकी शक्ति को संचित करके एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक स्थानांतरित कर सकती है, बर्बादी एवं अत्याचार सहन करने से रोक सकती है यहां तक कि हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने का समय निकट आ जाये। यही कारण है कि आपके आने की प्रतीक्षा करने वाले विश्व में जगह- जगह पर अन्याय के विरुद्ध संघर्ष कर रहे हैं और वर्चस्वादियों के मुक़ाबलने में डटे हुए हैं। इस संबंध में ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई कहते हैं" प्रतीक्षा/कल्याण एवं शांति की ओर मानव इतिहास को गतिशील बनाने के लिए मनुष्यों और राष्ट्रों को आशा प्रदान करने वाला बिन्दु है। यदि संसार को एक सूरज प्रकाशमयी करेगा तो इसका यह अर्थ नहीं है कि उस प्रकाशमयी सूरज के आने तक हम अंधेरे में बैठे रहें। हम प्रतीक्षा में हैं अर्थात हमें इस बात की आशा है कि प्रयास से यह संसार कि जो ईश्वर के शत्रुओं, शैतानों, अत्याचारियों और ज़ोर-ज़बरदस्ती करने वालों से भर गया है, अनवरत व लगातार प्रयास की छाया में एक दिन ऐसे संसार में परिवर्तित हो जायेगा जिसमें मानवता एवं मानवीय मूल्य सम्मानीय होंगे और लोगों के अधिकारों का अतिक्रमण करने वालों और अत्याचरियों को ऐसा कोई अवसर व स्थान नहीं मिलेगा जहां वे अपनी अच्छाओं की पूर्ति कर सकेंगे"
वास्तव में प्रतीक्षा का अर्थ वर्तमान स्थिति से संतुष्ट न होना है। मानवता इस बात की प्रतीक्षा में है कि संसार में भलाई का बोलाबाला हो जाये। जब मनुष्य इस विश्वास पर पहुंच जायेगा कि दुनिया की व्यवस्था न्याय के संचालन की ओर बढ़ रही है तो पूरे उत्साह एवं तनमयता से भलाई व सुधार के मार्ग में संघर्ष करेगा चूंकि वह जानता है कि न्याय के पौधे का विकास, निगरानी, सिंचाई और समस्याओं से संघर्ष पर निर्भर है। यह संसार ऐसे समय की प्रतीक्षा में है जब पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों में से इमाम महदी अलैहिस्सलाम प्रकट होंगें, सत्य को असत्य से अलग करेंगे और अपने पावन हाथों से लोगों के मध्य एवं उनके हृदयों में मित्रता का बीज बोएंगे। उस दिन हज़रत अली अलैहिस्सलाम के शब्दों में आसमान से पुकारने वाला आवाज़ देगा कि सत्य मोहम्मद की संतान के साथ है। उस समय ज़बानों पर महदी का नाम जारी होगा और उनका प्रेम दिलों में बैठ जायेगा तथा लोग उनके अतिरिक्त किसी और को याद नहीं करेंगे।

हड्डियों को कमजोर बना सकती है चिंताएं


हड्डियों को कमजोर बना सकती है चिंताएं
चिंता करने से आपकी हड्डियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और चिंता आपकी हड्डियों को कमज़ोर कर सकती है। आस्ट्रेलिया के डीकिन और नार्वे विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने नार्वे के 8,000 पुरुषों और महिलाओं पर किए शोध में यह परिणाम निकाला। शोधकर्ताओं ने अवसाद के लक्षणों और हड्डियों में खनिज तत्वों की कमी के मध्य एक प्रकार का संबंध पाया। अध्ययन में सम्मलित प्रतिभागियों के हाथों की हड्डियों में खनिज तत्वों की मात्रा जानने के लिए स्कैन किया गया। डीकिन शोधकर्ता लाना विलियम्स का कहना है कि अध्ययन में देखा गया कि पुरुषों में अवसाद और चिंता के लक्षणों का संबंध उनकी हड्डियों में खनिज तत्वों की कम मात्रा से है। श्री विलियम्स का कहना है उम्र अधिक होना, परिवार में ही इस प्रकार की समस्याएं होना, यौन हार्मोन्स की कमी, कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा न लेना और विटामिन डी की कमी, हड्डियों में खनिज तत्वों की कमी के कारण हैं। उन्होंने कहा, "यह संभव है कि ख़राब मानसिक स्वास्थ्य, हड्डियों में खनिज तत्वों की कमी का एक और कारक हो। हाल ही में मानसिक बीमारियों खासकर अवसाद और ओस्टीयोपोरोसिस के बीच संभावित सम्बंध शोध का विषय बन चुका है।

Friday, 15 July 2011

BABUBHAI RANPURA

એક મુઠી ઊંચેરા માનવી જે અંતર ના દ્વાર ખોલી દે એવી જેની વાણી એવા પૂજ્ય શ્રી બાબુભાઈ રાણપુરા ને શતશ વંદન. 

આજે ગુરુ પૂર્ણિમા ના પવન દિવસે સવાર થી જ એક વિશિષ્ટ વ્યક્તિના આગમન ની રાહ ઘરે જોઈ રહ્યા હતા. મારા મિત્ર શ્રી દિનેશભાઈ મારવાડા એ કહ્યું કે દયાળુ તમારે ઘરે આવે છે. પરિવાર ના બધા સભ્યો ને પણ કુતુહલતા કે શ્રી બાબુભાઈ રાણપુરા આપના ઘરે સામે ચાલી ને આવે. નવાઈ લાગતી હતી. બરાબર સવાર ના ૮.૩૦ કલાકે ભક્તો ની મેદની અને ગાડીઓ ની રમઝટ વચ્ચે કાળી કામલી અને અદ્ભુત તેજસ્વી કપાળ પર નાં તેજ સાથે ઘર આગળ તોરણ બંધાયું . દીકરી એ ચાંદલો કર્યો,  ઘર માં પગલા કર્યા અને મારા બાપુજી શ્રી જુમાભાઈ ભગત ની તસ્વીર જોઈ બોલ્યા આ કોણ ? જાણે પહેલા નો પરિચય ન હોય? બસ આશીર્વાદ નો વરસાદ વરસાવ્યો , મીઠાઈ આપી ને ચાલ્યા ગયા. પણ જાણે એક દોરી સાથે બાંધતા ગયા હોય તેવું લાગ્યું. થોડી વાર માં જ  પરિવાર સાથે માધાપર માં ગોઠવેલ ગુરુ પૂર્ણિમા ના સત્સંગ કાર્યક્રમ માં મળવા દોડી ચાલ્યા. બસ પછી તો અગમ-નિગમ ની વાતું ને સાચું  જીવન જીવવાની રાહ દેખાડનાર આ મહાપુરુષ ના દર્શન થી જીવન કૃતજ્ઞ બની ગયું.






ગુરુ પૂર્ણિમા ના પાવન દિન પ્રાથમિક શાળા ના એક શિક્ષક ને શતશ પ્રણામ

ગુરુ  પૂર્ણિમા ના પાવન દિન પર દરેક ના જીવન માં જ્ઞાન ની સરવાણી 

વહાવનાર અને જીવન ઘડતર કરનાર ગુરુઓ જીવનભર ક્યારેય 

ભુલાતા નથી. આમ તો જીવન માં જે જે વ્યક્તિ પાસેથી જીવન વિકાસ 

માટે જે શીખવા મળ્યું એ ગુરુ. પણ કોઈ એક વ્યક્તિનો એટલો મહત્વનો 

રોલ બની જાય છે કે આપની પોતાની 

જિંદગી એનો ઋણ અદા કરવા ટૂંકી પડે છે. 


મારા જીવન માં ગણા મહાન વ્યક્તિઓ નો ભેટો થયો. પૂજ્ય દાદાજી 

પાંડુરંગ શાસ્ત્રી , પૂજ્ય મોરારીબાપુ, પૂજ્ય ભાઈશ્રી રમેશભાઈ ઓઝા , 

પૂજ્ય સ્વામીશ્રી સત્યનારાયણ ગીરીજી  જેવા મહાન પુરુષો સાથે કામ 

કરવાની તક મળી એ બાબત મારા જીવન માં ખુબ જ મહત્વ ની છે. 

હું લખપત તાલુકા ના ૧૫૦ લોકો ની વસ્તી વાળા નાના એવા ખટિયા 


ગામ નો વાતની. ધોરણ ૧-૪ નું પ્રાથમિક શિક્ષણ પૂરું કરી 

ધંધાર્થે  મારા બાપુજી શ્રી જુમા ભગત પાનધ્રો ગામ માં ૧૯૭૭ માં આવ્યા 

હતા. ત્યારે પાનધ્રો ની શાળા માં અમદાવાદ ના વિરમગામ  તાલુકાના 

ટ્રેન્ટ ગામ ના વતની શ્રી રતિલાલ  રાઠોડ સાહેબ જે મને કેળવણી ની 

દિશા આપી એ જ મારા સાચા પથદર્શક બન્યા . 

રતિલાલ સાહેબ નાં અક્ષરો એવા સુંદર કે જાણે 

પ્રેસ નાં છાપેલા. એમને જોઈ ને એમ જ 

થયા કરે કે એમના જેઓ થાઉં. ૧૯૭૭, ૧૯૭૮ અને ૧૯૭૯ એમ ત્રણ વર્ષ 

માં મને એમણે જીવનનું ભાથું આપી દીધું. પોતે એકલા રહેતા એટલે 

એમના ઘરે પાણી ભરી આપું, વાસણ સાફ કરી આપું, નાનું મોટું કામ 

દોળતો કરી આવું. ૧૯૭૯ માં  ધોરણ ૭ પાસ કરી ને મારે હાઇસ્કુલ ના 

અભ્યાસ માટે નલિયા છાત્રાલય માં જવાનું થયું. મારી જાજાણી અટક 

પણ એમણે નક્કી કરી આપી. બાકી તો મને આજે ઓળખે કોણ ? પાનધ્રો 

થી તેઓ મને પત્ર લખતા, હું એમણે પત્ર લખતો. આ પત્ર નો સંબંધ એક 

વર્ષ ચાલ્યો. ૧૯૮૦ માં એમની બદલી ભચાઉ તાલુકા ના મોટી ચીરાઇ 

ગામ માં થઇ . પણ પત્ર થી મળવાનો અમારો સંબધ ચાલુ રહ્યો. નક્કી 

કર્યું કે વેકેશન માં મળવા જરૂર આવીશ. ત્યાર બાદ ૧૯૮૩ માં 

એસ.એસ.સી. કરી લીધી, ૧૯૮૫ માં પી.ટી.સી. કરી લીધી પણ પત્ર થી 

મળવાનો અમારો સંબધ ચાલુ રહ્યો. ૧૯૮૬ થી તીર્થધામ નારાયણ 

સરોવર માં શિક્ષક ની નોકરી મળી ગયી. હવે તેમને મળવાની તલબ 

વધી ગયી. એક વાર વેકેશન માં મોટી ચીરાઇ ગયો 

પણ તેઓ બહ્ર્ગામ ગયા એટલે ન મળ્યા. બસ આમ ન મળવા ના ઘણા 

વર્ષો વીતી ગયા . છતાં પણ પત્ર થી મળવાનો અમારો સંબધ ચાલુ 

રહ્યો. પછી તેમણે હળવદ માં બદલી કરાવી લીધી. ૨૦૦૬ માં  એક 

વાર સમાજવિધ્યા વિષય ની રાજ્ય કક્ષા ની તાલીમ માં બેચરાજી 

જવાનું થયું. મારી સાથે મારા મિત્રો હરિભાઈ પટેલ, મદનભાઈ ઠક્કર 

સાથે હતા . બે દિવસ ની તાલીમ બાદ મેં કહ્યું કે અહીં થી ટ્રેન્ટ ગામ 

૧૮ કિલોમીટર દુર છે અને ત્યાં માર સાહેબ રહે છે. હું એમણે મળવા 

જાઉં છું. તમે લોકો ભલે કચ્છ જાઓ . મને રતિલાલ સાહેબ ને મળવા 

ની અંતર ની ઈચ્છા ઘણા વર્ષો બાદ પૂરી થઇ રહી છે, તેનો આનંદ 

હૈયા માં સમાતો ન હતો. મેં સાહેબ માટે બેચરાજી થી પેન્ટ , શર્ટ અને 

બહેન માટે સાળી લીધી. ટ્રેન્ટ ગામ માં એમના ઘર પૂછતો પૂછતો ગયો. 

એમના પરિવાર માં ૪ ભાઈ નો મોટો કુટુંબ. બધા ને મળી ને આનંદ 

થયો પણ મારા અંતરપટ પર વસનાર રતિલાલ સાહેબ મળ્યા નહિ. મેં 

પૂછ્યું સાહેબ ક્યાં છે એમના ઘર ક્યાં છે? 

હું એમણે મળવા કચ્છ થી આવ્યો છું અને એમના માટે આ કપડા 

લાવ્યો છું. કોઈ કઈ બોલે નહિ. મોટા ભાઈ એ કહ્યું આ તમે બેઠા છો એ 

એમનું જ ઘર છે પણ એ નથી. મેં કહ્યું કયા બહાર ગયા છે? ત્યારે મોટા 

ભાઈ એ કહ્યું કે એક વર્ષ પહેલા હાર્ટ એટેક માં એમનું અવસાન થયું. 

આ શબ્દો સાંભળી મને ખુબ જ ધ્રાસકો લાગ્યો. હું ખુબ ડઘાઈ ગયો. 

સમજી ન શક્યો કે હું અહીં શેના માટે આવ્યો છું? ચોધાર આંસુએ રોઈ 

પડ્યો. મારી સાથી પરિવાર ના બધા ખુબ જ દુખી થયા. સ્વસ્થતા 

સાથે મેં સાથે લાવેલ કપડા એમને આપ્યા આખી હકીકત જાણી. વર્ષો 

નાં મિલન ની ઈચ્છા આવી રીતે બનશે. એ કલ્પી ન શકાય એવું બન્યું. 

મારા જીવન ઘડતર ના આ મારા સાહેબ , મારા ગુરુ, મારી પ્રેરણા, 

મારા અંતરમન ના પૂજ્ય મારા પ્રાથમિક શાળા ના એક શિક્ષક ને 

શતશ પ્રણામ .