Tuesday, 12 April 2011

विज्ञान में अमेरिका को पीछे छोड़ते चीन, भारत


भारत, चीन, ब्राजील विज्ञान में अमेरिका जैसे सुपर पॉवर को पीछे छोड़ रहे हैं. चीन तो इस क्षेत्र में सुपर पॉवर बनने की ओर है. ब्रिटिश अकादमी ने कहा कि जापान, यूरोप, अमेरिका पीछे छूट रहे हैं.

 
ब्रिटेन की रॉयल साइंस अकादमी की रिपोर्ट में कहा गया है कि विज्ञान में तेजी से प्रगति करते कुछ देश विज्ञान से गहरे जुड़े हुए नहीं हैं. इनमें ईरान, ट्यूनिशिया, तुर्की शामिल हैं. नॉलेज, नेटवर्क एंड नेशन्सः ग्लोबल साइंटिफिक कोलेबोरेशन इन 21. सेंचुरी नाम की इस रिपोर्ट में विज्ञान की कोशिशों और प्रभाव में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और वैश्विक मुश्किलों को दूर करने की क्षमता पर जोर दिया गया है. रिपोर्ट में इस तथ्य का खास ध्यान रखा गया है कि ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के खत्म होने पर दुनिया के सभी देश एक दूसरे को कैसे सहयोग दे रहे हैं. इस शोध की सलाहकार समिति के मुख्य क्रिस लेवलिन स्मिथ ने कहा, "विज्ञान जगत में बदलाव हो रहा है. यह बढ़ रहा है और इसमें नए खिलाड़ी शामिल हो रहे हैं. चीन के ऊपर आने के अलावा दक्षिण पूर्वी एशिया,  मध्यपूर्व, उत्तर अफ्रीकी और दूसरे देश भी सामने आ रहे हैं."
लेवलिन स्मिथ के मुताबिक 2002 से 2007 में रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए होने वाले खर्च करीब 45 फीसदी बढ़ गए. लेकिन विकासशील देशों में यह 100 प्रतिशत से बढ़ा है. उभरते देशों में चीन सबसे आगे है लेकिन दूसरे भी हैं. उन्होंने कहा कि शोध और सहयोग में बजट की बढ़ोतरी के साथ वैश्विक चुनौतियों को हल करने में मदद मिलनी चाहिए. 
आश्चर्यजनक तथ्य
इस रिपोर्ट के आंकड़े दिखाते हैं कि कैसे 1993 से 2003 के बीच और 2004 से 2008 के बीच प्रकाशित होने वाले शोध पत्रों में बदलाव आया है. हालांकि अमेरिका इस मामले में अब भी सबसे ऊपर चल रहा है लेकिन उसकी हिस्सेदारी 26 फीसदी से गिर कर 21 हो गई है. इसका सबसे कड़ा प्रतिस्पर्धी चीन है जिसकी हिस्सेदारी छह प्रतिशत से बढ़ कर 10.2 हो गया है.
ब्रिटेन तीसरे नंबर पर बना हुआ है हालांकि उसकी हिस्सेदारी हल्की सी कम हुई है. इनमें कुछ ऐसे भी देश हैं जो विज्ञान की दुनिया में कही नहीं थे और अचानक वह अहम हिस्सेदार बन गए हैं. इस मामले में ईरान सबसे तेजी से बढ़ता हुआ देश है और काफी मात्रा में विज्ञान के शोधपत्र प्रकाशित करता है. 1996 में वहां सिर्फ 736 शोध पत्र थे और 2008 में इनकी संख्या 13,238 हो गई.  
ईरान की सरकार भी विज्ञान के लिए वृहद योजना बना रही है. तुर्की की स्थिति भी मजबूत हुई है और वह धीरे धीरे चीन की प्रतियोगिता में आ रही है. 1996 से 2008 के बीच शोधकर्ताओं की संख्या 46 प्रतिशत से बढ़ गई है.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः ईशा भाटिया
 
 

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