Friday, 10 December 2010

रूस के जीवन में दिलचस्पी लेने वाले भारतीय लोगों की संख्या बढ़ रही है |

रूस के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में गहरी दिलचस्पी लेने वाले भारतीय लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस बात का प्रमाण अभी हाल ही में नई दिल्ली स्थित रूस के विज्ञान और संस्कृति केंद्र में सम्पन्न हुआ रेडियो रूस के श्रोताओं का पाँचवाँ अखिल भारतीय सम्मेलन है। रेडियो मास्को ने जिसे आजकल रेडियो रूस कहा जाता है, भारत द्वारा अपनी स्वतंत्रता की प्राप्ति और रूसी-भारतीय राजनयिक संबंधों की स्थापना से पांच साल पहले ही भारतीय श्रोताओं के लिए अपने प्रसारण शुरू कर दिए थे।


रेडियो मास्को ने भारत की राष्ट्रीय भाषाओं में अपने प्रसारण सन् 1942 में शुरू किए थे। बीसवीं शताब्दी के आठवें और नौंवें दशक में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों का विकास बड़ी तेज़गति से हुआ था। इस अवधि में रेडियो मास्को से प्रतिदिन 12 भारतीय भाषाओं में कार्यक्रम प्रसारित किए जाते थे। इसी अवधि में भारत में दूरदराज के शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में रेडियो रूस के कई श्रोता क्लबों की स्थापना की गई थी।

आजकल रेडियो रूस से भारतीय श्रोताओं के लिए हिन्दी, उर्दू और बंगाली में कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है। इसके अलावा नई दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और सिलिगुडी में एफएम प्रसारण भी आयोजित किए गए हैं। एक आंकलन के अनुसार इन भारतीय शहरों में तीन करोड़ दस लाख श्रोता रेडियो प्रसारण सुन सकते हैं।

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