Tuesday, 27 July 2010

GUNOTSAV 2010

GUNOTSAV 2010

Commonwealth Games 2010 Delhi

http://www.cwgdelhi2010.org/

Wednesday, 21 July 2010

अपना अंतरिक्ष केंद्र बनाएगा रूस

रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि रूस सैटलाइट लॉन्च करने के लिए एक नया कॉस्मोड्रोम बनाने जा रहा है. इसके लिए 80 करोड़ डॉलर दिए जाएंगे.




रूस अब तक अपने सैटलाइट कजाख़स्तान में स्थित लॉन्च साइट से भेजता है. कजाख़स्तान में यह लॉन्च साइट सोवियत संघ के वक्त में बनाई गई थी. लेकिन अब रूस चाहता है कि कजाख़स्तान पर उसकी निर्भरता कम हो. पुतिन ने कहा कि सरकार ने एक नया कॉस्मोड्रोम बनाने के लिए 80 करोड़ डॉलर देने का फैसला किया है. यह धन अगले तीन साल के दौरान दिया जाएगा.Bildunterschrift: Großansicht des Bildes mit der Bildunterschrift: तीन साल में 80 करोड़ डॉलर

नया स्पेसपोर्ट सुदूर पूर्वी क्षेत्र उगलेगोर्स्क में बनाया जाएगा. यह 2015 तक बनकर तैयार होगा. रूसी प्रधानमंत्री पुतिन ने सैटलाइट बनाने वाली देश की प्रमुख कंपनी एनर्जिया रॉकेट एंड स्पेस कॉर्पोरेशन में कहा, “मुझे पूरी उम्मीद है कि वोस्टोकनी देश का पहला कॉस्मोड्रोम होगा जो नागरिक कार्यों में इस्तेमाल होगा और इससे रूस अपनी अंतरिक्ष की गतिविधियों के लिए पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा.“



उन्होंने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि कॉस्मोड्रोम हमारे सभी अंतरिक्ष कार्यक्रमों को असरदार तरीके से चला सके. उन्होंने बताया कि रूस कुल मिलाकर 320 करोड़ डॉलर से ज्यादा धन अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर खर्च करने जा रहा है. इसमें ग्लोनास सिस्टम का विकास कार्यक्रम भी शामिल है. ग्लोनास अमेरिका के ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम के जवाब में तैयार किया जा रहा है.Bildunterschrift: Großansicht des Bildes mit der Bildunterschrift: यूरी गागारिन थे पहले अंतरिक्ष यात्री

इसके अलावा पुतिन ने अपने देश के अंतरिक्ष बाजार को दुनिया की पहुंच में लाने की भी बात की. उन्होंने बताया कि नासा, यूरोपीय स्पेस एजेंसी, जापान एरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी और बोइंग जैसी संस्थाओं और कंपनियों के वैज्ञानिकों को रूसी कंपनी एनर्जिया रॉकेट मेकर तक पहुंच देने के आदेश दे दिए गए हैं. रूसी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर ये लोग अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के लिए काम करेंगे.



पुतिन ने बताया कि ऐसा ही फैसला यूक्रेन के वैज्ञानिकों के लिए भी लिया गया है. वे लोग सोयूज और प्रोग्रेस जैसे अंतरिक्ष यानों को जोड़ने और टेस्ट करने का काम करेंगे.



रूस का अंतरिक्ष कार्यक्रम हाल के बरसों में कुछ कमजोर पड़ा है, जबकि उसका इतिहास उपलब्धियों से भरा पड़ा है. रूस ने 1961 में सबसे पहले अंतरिक्ष में इंसान को भेजने का कारनामा किया था. इसके चार साल बाद ही उसने स्पूतनिक को अंतरिक्ष में भेजकर इतिहास रच दिया था. यह उपलब्धि आज भी रूसी लोगों के लिए गर्व का विषय है.

ई-बुक्स की बिक्री ने हार्ड कवर किताबों को पीछे छोड़ा

डिजिटल किताबें अब हार्ड कवर वाली किताबों से ज्यादा बिक रही हैं. अमेजन डॉट कॉम का दावा है कि तीन महीनों में हार्ड कवर वाली किताबों की तुलना में ई-बुक्स की बिक्री ज्यादा हुई है. किंडल डिवाइस के दाम घटे तो बढ़ी बिक्री.

इस साल अप्रैल से जून के बीच अमेजन डॉट कॉम ने हार्ड कवर वाली किताबों की तुलना में 43 फीसदी ज्यादा डिजिटल किताबें बेचने का दावा किया है. इन डिजिटल किताबों को ई-बुक्स कहा जाता है. अमेजन का दावा है कि हार्ड कवर वाली किताब पढ़ने के बजाए लोग अब किंडल डिवाइस के सहारे डिजिटल किताबें ज्यादा पढ़ रहे हैं. और इसलिए ज्यादा ई-बुक्स बिक रही हैं. Bildunterschrift: Großansicht des Bildes mit der Bildunterschrift:
किंडल एक ऐसा सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर प्लेटफॉर्म है जिसकी डिस्पले स्क्रीन पर लोग किताबें पढ़ सकते हैं. तीन साल पहले किताब पढ़ने के लिए किंडल डिवाइस को ईजाद किया गया जिसकी डिस्पले स्क्रीन पर आराम से किताब पढ़ी जा सकती है. यानी कुर्सी पर बैठे या बिस्तरों में दुबके लोगों के हाथ किताब की जगह किंडल डिवाइस ने ले ली और पन्नों को उलटने के बजाए उसे स्क्रॉल करना जरूरी हो गया. अमेजन की मानें तो किंडल का उसे फायदा भी हुआ है और उसकी बिक्री बढ़ी है.
सिर्फ जून महीने में डिजिटल किताबें हार्डबैक कवर वाली किताबों की तुलना में 80 फीसदी ज्यादा बिकीं. हालांकि कंपनी ने अभी तक बिक्री का पूरा विवरण देने के लिए सेल्स डाटा नहीं दिया है. माना जा रहा है कि किंडल डिवाइस की कीमतों में आई गिरावट भी डिजिटल किताबों के ज्यादा बिकने की वजह हो सकती है. अमेजन डॉट कॉम की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में वेबसाइट के संस्थापक और चीफ एक्जीक्यूटिव जैफ बेजोस ने बताया, "किंडल डिवाइस की बिक्री तीन गुना बढ़ी है. पहले इसकी कीमत 259 डॉलर रखी गई लेकिन अब यह 189 डॉलर में बिक रहा है."
किंडल किताबों को एप्पल के आईफोन, आईपैड और लैपटॉप पर भी पढ़ा जा सकता है. अमेजन वेबसाइट पर 630,000 ई-बुक्स उपलब्ध हैं जिनमें पांच लाख से ज्यादा किताबों की कीमत 10 डॉलर से कम है. अमेजन की हार्डबैक कवर वाली किताबों की कीमत नहीं बताई गई है. अमेजन की ओर जारी आंकड़ों में पेपरबैक किताबों की बिक्री शामिल नहीं की गई है. पेपरबैक किताबों से ही किताबों के बाजार में दो तिहाई पैसा आता है और ऐसा लगता है कि पेपरबैक को पीछे छोड़ने के लिए किंडल को अभी लंबा सफर तय करना है.

Friday, 16 July 2010

कम्प्यूटर की खोज

कम्प्यूटर की खोज : थोमास एडिसन ने बिजली के बल्ब का आविष्कार किया, विलबर और ऑरविल राइट ने पहली बार हवाई जहाज़ से उड़ने का प्रयोग किया, लेकिन कंप्यूटर कहां से आया? किसने पहला कंप्यूटर बनाया?
वैसे तो ऐबेकस के रूप में सदियों से कैलकुलेटर जैसा एक औजार था, लेकिन डाटा स्टोरिंग की मशीन किसने बनाई? पेटेंट दफ़्तर में इस सिलसिले में चार्ल्स बैबेज का नाम दर्ज है. वे इंगलैंड के थे और उन्नीसवीं सदी में ही उन्होंने इसके शुरुआती सिद्धांत बनाए थे. लेकिन जर्मनी के कॉनराड त्सूज़े ने पहली बार 1941 में एक मशीन तैयार की, जिसे आजके कंप्यूटर का जनक कहा जा सकता है. इसमें बस 64 शब्द स्टोर किए जा सकते थे. त्सूज़े इतना ही चाहते थे कि उन्हें किसी तरह हिसाब के झमेले से निजात मिल जाए. 1992 में इस सिलसिले में उन्होंने कहा था -

मैंने सिविल इंजिनीयरिंग की पढ़ाई की थी. सिविल इंजिनीयर को हिसाब लगाने होते हैं, जिनमें काफ़ी माथापच्ची करनी पड़ती है. मैं चाहता था कि ये हिसाब ऑटोमेटिक ढंग से हों, फिर मुझे एक तरीका सूझा और यह मशीन बनी, जिसे हम आज कंप्यूटर कहते हैं. आप कह सकते हैं कि मेरे पेशे की मजबूरी से इसका जन्म हुआ. - कॉनराड त्सूज़े
1938 में त्सूज़े ने ज़ेड 1 Bildunterschrift: Großansicht des Bildes mit der Bildunterschrift: त्सूज़े का मॉडल ज़ेड 1नाम की जो मशीन तैयार की, उसमें चारों ओर छड़ों और हैंडिलों की भरमार ती. यह प्रयोग के लिए एक मॉडल था, और इसमें अभी बहुत सी ख़ामियां थीं. इसके बाद उन्होंने ज़ेड 2 नाम का एक और मॉडल तैयार किया, जिसमें एक टेलिफ़ोन रीले सिस्टेम था. फिर 1941 में तैयार हुआ दुनिया का पहला कामकाजी कंप्यूटर ज़ेड 3 यह देखने में एक विशाल अलमारी जैसा था और इसमें 600 टेलिफ़ोन रीले सिस्टेम शामिल थे. आज इस मशीन को म्युनिख के जर्मन संग्रहालय में रखा गया है. हाइंत्ज़ मोएलर यहां दर्शकों को ज़ेड 3 की बारीकियों का परिचय देते हैं और उनके सवालों का जवाब देते हैं. वे कहते हैं -

लोग इस मशीन के सामने खड़े रहते हैं और हैरत से इसे देखते रहते हैं. उन्हें समझ में नहीं आता कि यह क्या है. काफ़ी दिलचस्प सवाल भी पूछे जाते हैं. अभी पिछले हफ़्ते एक कंप्यूटर प्रेमी ने मुझसे पूछा कि क्या इसे इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है? मैंने उनसे कहा, क्यों नहीं, अगर आपके पास बूट करने के लिए 28 हज़ार साल का वक्त हो. - हाइंत्ज़ मोएलर
कॉनराड त्सूज़े ने सिर्फ़ वही नहीं तैयार किया, जिसे आज की भाषा में हार्डवेयर कहते हैं. उन्हें एक प्रोग्राम, यानी सॉफ़्टवेयर भी तैयार करना पड़ा, ताकि कंप्यूटर काम कर सके. उनकी भाषा में हिसाब की प्रणाली. इसमें पंच सिस्टेम के ज़रिये निर्देश व संख्याएं दी गई थीं, जिनके आधार पर यह मशीन काम करती थी.

यह नाज़ियों का ज़माना था, द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था. हालांकि त्सूज़े ने नाज़ी सरकार के निर्देश पर इसे तैयार नहीं किया था, लेकिन युद्ध में इस्तेमाल के लिए उन्होंने अपना आविष्कार मुहैया कराया था. नए विमान तैयार करने के लिए या दूसरे पक्ष की सूचनाओं को डिकोड करने के लिए इसे काम में लाया जा रहा था. त्सूज़े सिर्फ़ अपने आविष्कार में मगन थे. पीछे मुड़कर देखते हुए बाद में उन्होंने कहा था -

उस समय मेरे सामने सवाल यह था कि कैसे इस तरह की मशीनों को विकसित करते हुए विश्लेषण का काम आगे बढ़ाया जा सकता है. सेना के लोगों से भी मेरी बाते हुई थीं, लेकिन उनके पास एनिग्मा नाम की मशीन थी, जो उस दौर के हिसाब से काफ़ी अच्छी थी. - कॉनराड त्सूज़े
विश्वयुद्ध ख़त्म होने के बाद जर्मनी को कंप्यूटर नही, दूसरी चीज़ों की ज़रूरत थी. लेकिन कॉनराड त्सूज़े अपने रास्ते पर बने रहे.
मेरे लिए यह बात साफ़ थी कि मैं संगणन की एक नई दुनिया में क़दम रख रहा हूं और मेरी राय में ऐलगोरिदम की भाषा तैयार करने के लिए शतरंज का खेल एक इलाका हो सकता था. मिसाल के तौर पर 1938 में अपने दोस्तों के बीच मज़ाक करते हुए मैंने कहा था कि पचास साल के अंदर एक मशीन शतरंज के विश्वचैंपियन को हरा देगी. अफ़सोस कि ऐसा नहीं हुआ, लेकिन रास्ता बिल्कुल सही था - कॉनराड त्सूज़े
1940 से ही कॉनराड त्सूज़े की अपनी कंपनी थी, त्सूज़े अप्पाराटेनबाऊ, जो 1964 में दीवालिया हो गई. लेकिन इससे भी ज़्यादा अफ़सोस उन्हें इस बात का था, कि पेटेंट दफ़्तर में उनकी दरख़्वास्त खारिज कर दी गई. उनका कहना था कि यह फ़ैसला सही नहीं था.
कंपनी दीवालिया हो जाने के बाद वे कलाकार बन गए. लेकिन यहां भी कंप्यूटर ने उनका पीछा नहीं छोड़ा. वे कंप्यूटर की दुनिया के दिग्गजों की ऑयल पेंटिंग बनाने लगे. 1995 में अपनी मौत से कुछ ही माह पहले उन्होंने बिल गेट्स को उनकी एक तस्वीर भेंट की. सीएट्ल में माइक्रोसॉफ़्ट के मुख्यालय में बिल गेट्स के दफ़्तर में आज भी यह तस्वीर टंगी हुई है.
सौजन्य : रेडियो दोइत्श्चे वेले -जर्मनी

Thursday, 15 July 2010

footbal worldcup

rediyo taiwan

radiyo japan

રમતા રમતા ભણીયે કાર્યક્રમ

રમતા રમતા ભણીયે કાર્યક્રમ ધોરણ 1-2-3 મા જુલાઇ -ઑગષ્ટ 2010 માં 40 દીવ્સ ચલાવવા નો ચ્હે . આ કાર્યક્રમ માં પ્રવૃતિ દ્વારા જ્ઞાન મુજબ બાળકોને શિક્ષણ આપવાનું અભિગમ ચે.

प्रज्ञा (प्रवृति के साथ ज्ञान ) प्राथमिक शिक्षा में एक अभिनव कार्यक्रम

प्रज्ञा (प्रवृति के साथ ज्ञान ) प्राथमिक शिक्षा में एक अभिनव कार्यक्रम है

इस कार्यक्रम के अंतर्गत कक्षा १-२ के विद्यार्थिओं को दो अलग - अलग क्लासरूम (गुजराती - पर्यावरण ) और (गणित - रएँबो) में एक साथ एक्टिविटी के विद्यार्थी की क्षमता मुताबिक बच्चे अपने आप पढ़ते हैं
लेदर्स के माध्यम सें कार्ड पसंद करके उस कार्ड के हिसाब सें एक्टिविटी के द्वारा शिक्षा प्राप्त करते हैं
कार्ड के सूचित चित्र के अनुसार छ प्रकारके ग्रुप हैं
बच्चे कार्ड के चित्र



को लेकर शिक्षक के पास जाता है
शिक्षक इस प्रमाण सें उसे एक्टिविटी करता है
जिस तरह बच्चे लेदर के एक एक कार्ड के मुताबिक एक्टिविटी कर लेता है तो लेदर के पास जा कर अगले कार्ड को पसंद करता है
इस तरह एक एक माइलस्टोन पार करके प्रगति करता रहता है
इस कार्यक्रम की सबसें बड़ी विशेषता यह है की बच्चों को स्कुल बेग का भर उठाने सें मुक्ति मिलती है

TEACHER'S TRAINING IN JULY 2010

TEACHER'S TRAINING IN JULY 2010
STD: 1-2-3-4 TEACHERS ON 2nd JULY 2010
STD: 5-6-7 TEACHERS ON 16th JULY 2010

प्रज्ञा (प्रवृति द्वारा ज्ञान ) ABL (एक्टिविटी बैज लर्निंग ) कार्यक्रम

मिर्ज़ापर सी. आर. सी. की ३ स्कूलों की प्रज्ञा (प्रवृति द्वारा ज्ञान ) ABL (एक्टिविटी बैज लर्निंग ) कार्यक्रम के लिए पसंद की गयी है





(१) मिर्जापर कन्या शाला


(२) सुखपर कन्या शाला -१


(३) सुखपर कन्या शाला -२






दिनांक ७-10 जुलाई २०१० को इस कार्यक्रम के अंतर्गत इन स्कूलों के कक्षा १-२ के शिक्षकों को मेहसाना जिल्ला के विजापुर तहेसिल की स्कूलों की एक्सपोज़र विजीट की गयी और आगलोड़ में प्रशिक्षण दिया गया




इस प्रशिक्षण में सी.आर.सी. को-ऑर्डिनेटर नानजी जनजानी के आलावा निम्नी दर्शित शिक्षकों ने भाग लिया




(१) श्री किर्तिभाई सोनी प्रमुख अध्यापक सुखपर कन्या शाला -२


(2) श्री जयेशभाई सोलंकी अध्यापक सुखपर कन्या शाला -२


(3) श्रीमती गीताबेन त्रावादी प्रमुख अध्यापक मिर्जापर कन्या शाला


(4) श्रीमती रीताबेन कनासागारा अध्यापक मिर्जापर कन्या शाला


(5) शिल्पाबेन जेठी अध्यापक मिर्जापर कन्या शाला


(६) श्री किशोरभाई डाभी प्रमुख अध्यापक सुखपर कन्या शाला -१


(7) श्रीमती चेतनाबेन ठक्कर अध्यापक सुखपर कन्या शाला -१


(8) श्रीमती प्रतिमाबेन सोनी अध्यापक सुखपर कन्या शाला -१


(9) श्रीमती अन्जुमबेंन खत्री अध्यापक सुखपर कन्या शाला -१