Thursday 13 May, 2010

रूस में 7 मई को रेडियो दिवस मनाया जाता है।

जैसाकि हम जानते हैं - रेडियो का आविष्कार 19वीं शताब्दी के अन्त में हुआ था। 7 मई 1895 को प्रतिभाशाली रूसी वैज्ञानिक अलेक्सांदर पपोव ने पिटर्सबर्ग में रूसी भौतिकी-गणित समाज की बैठक में पहली बार अपने इस अनूठे आविष्कार को यानी दुनिया के पहले रेडियो को प्रस्तुत किया था। वे बेहद खुश थे कि वे 600 मीटर की दूरी पर अपनी आवाज़ का प्रसारण कर सकते हैं। 7 मई का वह दिन फिर इतिहास का एक पन्ना हो गया। बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में रेडियो को एक अजूबा ही माना जाता था। फिर 1924 में रूस में नियमित रूप से रेडियो प्रसारण शुरू हो गया। फिर द्वितीय विश्व युद्द में हुई रूस की विजय के वर्ष में एक नया दिवस - रेडियो दिवस मनाया जाने लगा। तब से लेकर आज तक कई बार ऐसे मौके भी आए हैं, जब रेडियो का तिरस्कार किया गया। जब टेलीविजन प्रसारण शुरू हुआ तो लोगों ने समझा कि अब रेडियो प्रसारण बन्द हो जाएँगे। फिर जब इन्टरनेट सामने आया तो फिर से यह भविष्यवाणी की गई कि अब रेडियो प्रसारणों के दिन लद चुके हैं। लेकिन रेडियो ने दुनिया में अपनी जगह बनाए रखी और आज भी वह एक सबसे लोकतांत्रिक और सबसे प्रभावशाली तथा कारगर समाचार साधन है। वास्तव में आज रेडियो के बिना जीवन की कल्पना करना भी कठिन है। भला कौन आज ख़बरें या संगीत सुने बिना रह सकता है। तमाम तरह की छोटी बड़ी जानकारियाँ हमें तुरन्त रेडियो से मिल जाती हैं। आज रूस में करीब दो हज़ार छोटे-बड़े रेडियो प्रसारण किए जाते हैं। सिर्फ़ मास्को में ही पचास से ज़्यादा रेडियो स्टेशन काम कर रहे हैं। रेडियो रूस के अध्यक्ष आन्द्रेय बिस्त्रीत्स्की ने बताया कि विदेशी भाषाओं में विदेशी श्रोताओं के लिए रेडियो प्रसारण के क्षेत्र में बड़ी कड़ी प्रतियोगिता होने के बावजूद रेडियो रूस ने श्रोताओं के बीच अपनी भरी-पूरी जगह बना रखी है और रेडियो रूस के श्रोताओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

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