Thursday, 10 March 2011

९ मार्च विश्व के पहले अन्तरिक्ष यात्री युरी गगारिन के जन्मदिन पर सब को हार्दिक बधाई |

9 मार्च को यूरी गगारिन का जन्मदिन मनाया जाता है। दुनिया के पहले अंतरिक्ष यात्री यूरी गगारिन अगर जीवित होते तो आज 77 साल के हो गए होते। इस साल उनकी ऐतिहासिक अंतरिक्ष उड़ान की स्वर्ण जयंती भी मनाई जा रही है।




बहुत से लोग इस बात को जानते हैं कि यूरी गगारिन ने अपने अंतरिक्ष यान की उड़ान शुरू होते ही कहा था – “चलो भाई!” लेकिन इस के बाद क्या हुआ था, यह बात बहुत कम लोग जानते हैं। इसके बाद गगारिन ने सैन्य ढंग से नियमानुसार अंतरिक्ष उड़ान संचालन केंद्र को यह बताना शुरू कर दिया था कि वे कैसा महसूस कर रहे हैं – मेरे ऊपर दबाव बढ़ रहा है...यान में कंपन हो रहा है... मेरी तबियत ठीक है। इसके बाद गगारिन की आवाज़ बदल जाती है – मैं भावुक होता जा रहा हूँ – एक खुशी, एक उमंग मेरे मन पर छा रही है। थोड़ी ही देर बाद अपने अंतरिक्ष यान के इंजनों की गूंज को दबाते हुए वे फिर से ज़ोरदार आवाज़ में कहने लगते हैं - “खिड़की में से मुझे पृथ्वी दिखाई दे रही है। बर्फ़, पेड़ और मैदानी इलाके।” आगे शायद उनकी समझ में यह नहीं आता कि और क्या बताया जाए तो वे पूछने लगते हैं - “और आप लोगों का क्या हाल है?” गौर करने की बात यह है कि यह उनकी उड़ान का सबसे ख़तरनाक प्रारमंभिक दौर था और गगारिन डरने की जगह उत्साह और उमंग से भरे हुए थे। उनके भीतर इतनी सकारात्मक ऊर्जा थी कि वह पृथ्वी पर उपस्थित अपने सहयोगियों से कह रहे थे कि मैं तो ठीक-ठाक हूँ। मेरी चिन्ता मत करो, तुम बताओ तुम कैसे हो। गगारिन के बारे में रूस में बहुत से गीत हैं। एक गीत के बोल हैं – जानते हैं, कैसा लड़का था वह? सचमुच गगारिन बड़े जीवन्त, हँसमुख और असली लड़के थे।



उनकी तस्वीरें भी आज हमें उनके बारे में बहुत कुछ बताती हैं। एक तस्वीर 1961 की गर्मियों में उनकी अंतरिक्ष उड़ान पूरी होने के बाद खींची गई थी, जिसमें गगारिन मास्को के फ़िल्म महात्सव में भाग लेने के लिए आए विदेशी मेहमानों को संबोधित कर रहे हैं। एक बेहद ख़ूबसूरत स्त्री अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से गगारिन की ओर देख रही है। उसकी आँखों में उल्लास और प्यार भरा है। यह उन दिनों की विश्व प्रसिद्ध इतालवी अभिनेत्री जीना लोल्ला ब्रीजीदा है। उस दिन इन दोनों की बहुत-सी तस्वीरें खींची गई थीं। विश्व का पहला अंतरिक्ष यात्री और विश्वप्रसिद्ध सुन्दरी – दोनों पास-पास खड़े हैं और मुस्करा रहे हैं। इस तस्वीर में ख़ास बात यह है कि जीना का सौन्दर्य यूरी गगारिन के प्रभाव को मद्धम नहीं कर रहा, बल्कि इसके विपरीत गगारिन की पौरूष छवि की वज़ह से जीना का सौन्दर्य कम होता दिख रहा है। यह गुण गगारिन का प्राकृतिक गुण था – उनसे एक प्रकाश-सा छलकता रहता था, जबकि वह एक साधारण रूसी किसान के घर में पैदा हुए युवक थे, जिसने द्वितीय विश्वयुद्ध की मार झेली थी, जो जर्मन सेना के कब्ज़े में बचपन गुज़ार चुका था। जीवन की कठिनाइयों और दुखों को उन्होंने ख़ूब झेला था। गगारिन हालाँकि पढ़ाई में बेहद अच्छे थे, लेकिन परिवार गरीब था और उन्हें माँ-बाप की सहायता करनी थी, इसलिए उन्होंने स्कूल की शिक्षा के साथ-साथ धातु-ढलाई का प्रशिक्षण प्राप्त करना शुरू कर दिया था। शाम को स्कूल जाया करते थे। स्कूल की पढ़ाई पूरी करके गगारिन ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में प्रवेश ले लिया और एयरोक्लब में जाने लगे। फिर वे सेना में विमानचालन का काम सीखने लगे। कुछ समय तक वे सेना में ही पायलट रहे और इसके बाद उन्हें संभवित अंतरिक्ष-यात्रियों के दस्ते में शामिल कर लिया गया और अंतरिक्ष यात्रा का प्रशिक्षण दिया जाने लगा।



जब हम उन लोगों की बातें सुनते हैं जो गगारिन को निजी रूप से जानते थे, जब हम गगारिन की आवाज़ सुनते हैं, उनकी तस्वीरें देखते हैं या गगारिन के बारे में विडियो-फ़िल्में देखते हैं तो हमारे सामने उनके और भी बहुत से गुण उभर कर सामने आ जाते हैं। उनका स्वाभिमान, उनकी ख़ूबसूरती, उनका साहस, उनके भीतर छिपी ऊर्जा, उनका आत्मसंयम, सहजता, लगातार सक्रिय बने रहना और शरीरिक रूप से स्वस्थ दिखाई देना – ये सब गुण उन्हें प्रकृति से मिले थे। ईश्वर ने उन्हें ऐसा ही बनाया था या फिर गगारिन ने ख़ुद को ऐसा बना लिया था। हम चाहे जो भी सोचें, लेकिन जो सोचेंगे, वही बात सच होगी।



उनकी तमाम तस्वीरों के बीच एक तस्वीर ऐसी भी है, जिस में गगारिन के चेहरे पर हँसी नहीं है। उनके चेहरे पर मुस्कान भी नहीं है। शायद यह तस्वीर उनकी अंतरिक्ष उड़ान समाप्त होने के तुरन्त बाद की है। गगारिन ने अपनी अंतरिक्ष पोशाक उतार दी है और उनके सूट के छाती के पास बटन खुले हुए हैं। गगारिन के चेहरे पर असीम शांति विराजमान है। एकदम पारदर्शी चेहरा। गाल कुछ-कुछ पिचके हुए, ऐसा लग रहा है जैसे वे बेहद थके हुए हों। नज़र में एक विरक्ति, एक विराग का भाव है, जैसे वे खुद अपने मन के भीतर ही डूबे हुए हों। हो सकता है कि वे अपने मन की आँखों से उन दृश्यों को बार-बार देख रहे होंगे जो उन्होंने विराट अंतरिक्ष में जाकर देखे थे। और यह भी हो सकता है कि पृथ्वी के पहले अंतरिक्ष यात्री अपने भविष्य में झाँक रहे होंगे और उन्हें यह दिखाई दे रहा होगा कि सिर्फ़ 7 साल बाद, सिर्फ़ 34 वर्ष की उम्र में एक रहस्यपूर्ण विमान-दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो जाएगी। इसका जवाब हमें कभी नहीं मिलेगा कि वे उस समय क्या सोच रहे थे।